*श्रीमती नीलम सूद और एडवोकेट/ पत्रकार रविंद्र सूद एक बेवाक पत्रकार*
*श्रीमती नीलम सूद और एडवोकेट/ पत्रकार रविंद्र सूद एक बेवाक पत्रकार*
ऐसा समझा जाता है कि प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है इसे लोकतंत्र के मंदिर के चौथे स्तंभ के रूप में ही मान्यता प्राप्त नहीं है बल्कि इस पर एक और जिम्मेदारी सौंपी गई है की है लोकतंत्र की रक्षा करने के साथ साथ एक सजग प्रहरी के रूप में भी कार्य करेगा अगर लोकतंत्र के 3 खंभों में कहीं पर कोई त्रुटि रह जाए तो यह प्रहरी एक चौकीदार के रूप में जाग उठेगा तथा हुंकार भर कर बाकी तीनों स्तंभों को जागते रहो का अलख जगायेगा। पिछले कई दशकों में जब से भारत आजाद हुआ है भारत में केवल मात्र प्रिंट मीडिया ही एक प्रहरी के रूप में कार्य करता था तथा उसकी पहुंच बहुत ही सीमित दायरे तक होती थी तथा पढ़े लिखे लोग भी उस दायरे में सीमित होते थे परंतु हाल ही के दशक में विज्ञान ने इतनी तरक्की की है कि अब केवल मात्र हमारी निर्भरता प्रिंट मीडिया पर ही नहीं है बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर हमारी निर्भरता अधिक बढ़ गई है और यह इतनी तेज सटीक और त्रुटि रहित है कि कोई भी घटना या समाचार कहीं भी घट रहा हो उसकी सूचना हमें चंद मिनटों में ही मिल जाती है पहले हम एक दिन बाद की खबरों को पढ़ते थे परंतु अब हमें 1 घंटे पहले की घटना भी पुरानी लगती है जितनी तेजी से मीडिया का विस्तार हुआ है उसी तेजी से लोगों में जागरूकता भी बड़ी है तथा वह सही और गलत की पहचान करने लगे हैं ।
परंतु आज भी हमारे सिस्टम में बहुत त्रुटियां है जिसको दुरुस्त करने के लिए किसी साहसी पत्रकार की आवश्यकता रहती है। आज यह जरूरी नहीं है कि लोगों की समस्याओं को उजागर करने के लिए सिस्टम को चलाने के लिए या उसकी त्रुटियां गिनाने के लिए केवल मात्र पत्रकारों पर ही हमारी निर्भरता है । आज आमजन भी सिस्टम की गलतियों को तथा सिस्टम में हो रहे भ्रष्टाचार या ज्यादतियों को उजागर कर देता है जो कोई मुश्किल कार्य नहीं है परंतु इसके लिए साहस की आवश्यकता होती है।
बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आजकल हमारा मीडिया इतनी सटीक टिप्पणियां नहीं दे पाता जितनी उसे देनी चाहिए इतने अधिक साहस नहीं जुटा पाता कि सिस्टम को दुरुस्त किया जा सके या उस में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर कर सके। हमारे इस क्षेत्र में आज भी कुछ पत्रकार साहसिक कार्य करते हैं और वह शासन प्रशासन की त्रुटियों तथा लोगों की परेशानियों को प्रमुखता से उजागर करते हैं, इसमें उनका कोई अपना निजी हित नहीं होता बल्कि वह जनहित में ऐसा कार्य करते हैं ।।
पालमपुर की बात करें तो पालमपुर में श्री रविंद्र सूद जी एक बहुत ही वरिष्ठ पत्रकार हैं जो ट्रिब्यून सरीखे देश के प्रमुख समाचार पत्रों के लगभग पिछले चार दशकों से पत्रकारिता का निर्भीकता से निर्वहन कर रहे हैं हालांकि यह भी सत्य है कि ट्रिब्यून इंग्लिश का अखबार है जिसे केवल मात्र पढ़े लिखे लोग ही पढ़ते हैं परंतु इतनी हाई लेवल के रीडरशिप होने के बावजूद भी श्री रविंद्र सूद जी आमजन गरीबों दलितों कुचलो तथा अन्य लोगों की समस्याओं को उजागर करते रहते हैं और सरकार शासन प्रशासन को झकझोरते रहते हैं।
पेशे से आयकर अधिवक्ता होने के बावजूद भी वह अपने व्यस्ततम कार्यक्रमों में से समय निकालकर लोगों की समस्याओं के प्रति सिस्टम की खामियों तथा त्रुटियो शासन प्रशासन में हो रहे भ्रष्टाचार भाई भतीजावाद माफियाओं के विरुद्ध आवाज उठाना और उसे कैसे दुरुस्त किया जाये इससे से सरकार और शासन प्रशासन को अवगत कराते रहते हैं ।उसका हल करवाने की कोशिश करते हैं। सामाजिक कार्य हो या विकास के कार्य हो इस पर वह अपनी बेबाक टिप्पणी रखते हैं तथा अपने व्यस्ततम प्रोफेशनल बिजी शेड्यूल में से समय निकालकर इन सभी कार्यों के लिए समय देते हैं।
पालमपुर में नगर निगम को बनाने का आंदोलन हो या पर्यावरण से जुड़ा हुआ कोई मामला या जिला बनाने की मुहिम हो स्वच्छता अभियान हो खनन माफियाओं या जंगल माफियााओं के विरुद्ध आवाज बुलंद करनी हो नशे के विरुद्ध आवाज उठानी हो अवैध धंधों में संलिप्त लोगों को जनता के सामने लाना है या सिस्टम में कहां पर भ्रष्टाचार हो रहा है सरकार को किस विषय में क्या करना चाहिए इन सब विषयों में में अग्रणी रहते हैं।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि पत्नी पति के हर कार्य में सहभागी होती है या हो सकती है वह केवल चारदीवारी में ही रह कर स्त्री होने का होने का फर्ज नहीं निभाती, बल्कि वह पति के हर नेक कार्य में सहभागी सहभागिता निभाती है। श्री रविंद्र सूद जी की पत्नी श्रीमती नीलम सूद भी ऐसी ही महिला हैं जो अपने पारिवारिक कार्यों के निर्वहन करने के पश्चात पत्रकारिता तथा क्षेत्र की उन्नति तरक्की तथा गरीबों की सहायता के लिए हमेशा आगे रहती हैं ।गरीबों की समस्याओं को उठाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है। उसके लिए उन्हें शासन प्रशासन से ही क्यों ना भिड़ना पड़ जाए वह इसकी परवाह नहीं करती हैं।
गरीब लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है उसके लिए उन्हें कुछ लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है परंतु वह अपने पग से नही डगमगाती । एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ वे एक जागरूक नागरिक भी हैं तथा सिस्टम में हो रही कमियों तथा त्रुटियों को अक्सर उजागर करती रहती हैं जिससे कि गरीबों का भला हो और अंततोगत्वा देश और प्रदेश की उन्नति हो। पालमपुर के इस दंपत्ति जोड़ी को सभी लोग पसंद करते हैं यहां तक की विरोधी लोग भी दबी जुबान में तारीफ करते हैं।
आज का जमाना ऐसा है कि अगर हम साधन संपन्न हैं हमारे पास संसाधनों की कमी नहीं है सुविधाओं की कमी नहीं है हम अपने परिवार में सुख हैं तो हम अपने परिवारिक दायरे से बाहर नहीं निकलते। ईश्वर ने जो हमें संपन्नता दी है हम उसका हम पूर्ण उपयोग करते हैं घूमते हैं फिरते हैं छुट्टियां मनाते हैं खूब खर्च करते हैं और अपने में ही मस्त रहते हैं। हमे संसार से कोई लेना देना नहीं होता संसार की बात छोड़िए हमें पड़ोस से भी कुछ लेना देना नहीं होता ।क्योंकि हम उन सुख-सुविधाओं का अपने परिवार में पूर्ण रुप से उपभोग करना चाहते हैं और अपने में ही मस्त रहते हैं, परंतु चंद लोग ही होते हैं जो अपने पारिवारिक सुख सुविधाओं सुखचैन को छोड़कर समाज के हित में कार्य करते हैं और आलोचनाओं का सामना भी करते हैं।
वैसे रविंदर सूद अपने इनकम टैक्स के वकील के रूप में बहुत अधिक व्यस्त रहते हैं उनका प्रोफेशन वकालत है पत्रकारिता नहीं ,परंतु उन्होंने पत्रकारिता अपना प्रोफेशन नहीं अपना जुनून बनाया है ।कुछ नेता लोग और कुछ प्रशासनिक अधिकारी अक्सर इस तरह के सच्च जके सारथी पत्रकारों के बारे में प्रश्न कर देते हैं कि उसके पास कौन सी जर्नलिज्म की डिग्री है? जो इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते है ।परंतु जिनके पास जर्नलिज्म की डिग्री होती है क्या वह इतनी हिम्मत जुटा पाते हैं ?वही प्रशासनिक अधिकारी कभी यह पूछने की हिम्मत नहीं करते कि हेल्थ मिनिस्टर के पास कौन सी मेडिकल के डिग्री है एविएशन मिनिस्टर के पास कौन सी इंजीनियरिंग की डिग्री है रेल मंत्री के पास कौन सी मैकेनिकल प्रोफेशन की डिग्री है ।लेकिन प्रोफेशनल डिग्री होने से ज्यादा इंसान अपनी काबिलियत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। जरूरी नहीं कि किसी भी विषय का प्रोफेशनल आदमी उस फील्ड में बहुत ही अच्छा कार्य करे, हर्षवर्धन जो कि स्वयं एक डॉक्टर हैं हेल्थ मिनिस्टर के पद से हटा दिया गया था क्योंकि वह उस पर पद पर इतने सफल नहीं हो सके थे।
इसी तरह की शख्सियत रविंद्र सूद और नीलम सूद दम्पत्ती भी हैं। वरना अधिकतर साधन संपन्न लोग अपने पड़ोस में कोई भूखा मर रहा हो उसकी भी परवाह नहीं करते समाज और संसार के बात तो छोड़िये। ट्राइसिटी टाइम्स की हार्दिक शुभकामनाएं