*#सुबहकीचौधराहट* *लेखक राकेश कोरला पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हिमाचल प्रदेश सरकार*
“सुनो , तुम हमेशा नारी सशक्तिकरण और नारी- गौरव की बातें करती रहती हो और हम पुरूषों , विशेषकर मुझ नाच़ीज पर कई किस्म के कटाक्ष करती रहती हो । हमारी ऐतिहासिक भूलों ( गलतियों ) का बखान करती रहती हो मगर यह भूल जाती हो कि तुमने भी एक बार नहीं कई बार मुझसे माफी मांगी है तथा हमारे रिश्ते को श्रद्धापूर्वक निभाने की कसमें खाई हैं। काश ! मैनें तुमसे लिखवा लिया होता तो मैं तुम्हारे माफीनामा को सार्वजनिक करता ।”
मैंने बड़ी हिम्मत जुटा कर हाई कमान उर्फ श्रीमति जी को कह डाला ।
मेरे हाथों से अखबार और मोबाइल फोन छीनते हुए दहाड़ने लगी ,
” एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो , मर्द जात !
खबरें कम देखा और पढ़ा करो ।तुम तो एक अच्छे इन्सान (थे ) , तुम में सियासत के किटाणु कैसे आ गए ?
तुम भी सियासतदानों की तरह गढ़े मुर्दे उखाड़ने लग पड़े।
कोई नेहरू को कोस रहा है , कोई सावरकर की चिट्ठियां सभाओं में दिखा रहा है ।
भविष्य के road – map की बात कोई नही करता ।बस एक दूसरे की टांग खींच रहे हैं। ”
मैंने शुक्र मनाया कि चलो अच्छा हुआ कि मैं निशाने से हट गया और श्रीमति जी के क्रोध का कहर राजनितिज्ञों पर बरस रहा है मगर मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहने लगी ,
” देश की और संबंधों की गाड़ी ऐसे कैसे चलेगी ? मैं भी आपके माफीनामों को सार्वजनिक करूं तो ? ”
मैंने चुपचाप वहाँ से खिसकना ही बेहतर समझा क्योंकि बहुत ज्यादा विटामिन ( डी ) उर्फ (डांट) स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता।
राकेश कोरला
पुष्पांजलि ।
पालमपुर।
हिमाचल प्रदेश।
19.11.2022
#सुबहकीचौधराहट