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*लेख:”मेरी रजाई” :लेखिका तृप्ता भाटिया*

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कंबल में कम बल है सर्दी रोकने का और ये अब या तो विवाह में मिलनी के काम आते हैं या गरीबों में बांटने के😀
मेरी रजाई
मेरी रजाई जिसकी रूईं का बजन मेरे माता पिता तय करते थे कि कितने किलो की होगी।
रजाई बड़ी हरजाई होती है सोते समय कितना भी चारो तरफ लपेटकर सो जाओ .कुछ देर बाद ही , जिस तरह पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ होती है , उसी तरह ठंड भी रजाई की नियंत्रण रेखा को पार करके , अतिक्रमण कर देती है और मेरे पास थर-थर कांपने के सिवा कोई जाड़ा(ठंड) …सॉरी चारा नहीं रह जाता।

आजकल ,पुराने जमाने की भारी भरकम रूई वाली रजाइयों की जगह , सुकोमल मखमली “ब्लैंकेट” विशेषण प्राप्त कंबल ने ले ली है रजाई अब अपने अस्तित्व के लिये संघर्षरत है वो भी क्या सुनहरा दौर था रजाइयों का अपने अंदर ढेर सारी रूई को समेटे मजाल है कि प्रापर ओढ़ने वाले को जरा भी सर्दी लग जाये पर उस रजाई में घुसकर ,उसे गर्म करना बहुत बड़ा कार्य था , पर उससे भी बड़ी वीरता का काम था गर्म रजाई से बाहर निकल , रात में टॉयलेट :एक प्रेमकथा के लिये जाना रजाई में लेटा-लेटा ,इंसान सोचता था कि जायें कि न जायें।

पहले रजाई और कंबल का वर्गीकरण बहुत सरल था खोल में धुनी हुई रूई भरकर , व्यवस्थित ढंग से बनी ओढ़ने वाली चीज को रजाई कहते थे और लाल काले कत्थई किस्म के , शरीर पर कुछ गड़ने वाली चीज कंबल कहलाती थी।

कंबल में सर्दी भगाने का कम बल था ,इसलिये उसे कंबल कहा जाता था । अब कंबल दान इत्यादि अवसरों पर गरीबों को बांटने और बांटने से ज्यादा बांटने की फोटो खिंचवाने के काम आते है। बअक्सर बाजार में आधे दाम पर बिकने चला जाता है हर कभी सेल में
या फिर वो ट्रेडिशनल कंबल , जेलों में कैदियों और पागलखाने में रखे गये लोगों को भी दिये जाते हैं।

खैर , बात फिर से पापा वाली रजाई की करते है एक एक रजाई भारीभरकम रात में सोते समय रजाई लाना और सुबह रजाई समेटकर रखना दोनो ही बहुत बड़े काम थे।
सुबह रजाई ओढ़कर चाय पीना , अखबार पढ़ना या रात में सुबह के अखबार पर रखकर मूंगफली खाना रजाई ने बहुत साथ दिया।
जयपुरी रजाई की तो बात ही निराली है दुबली पतली सेक्सी हल्की रजाई पुरानी ट्रेडिशनल रजाई के सामने , जयपुरी रजाई ऐसी लगती है जैसे टुनटुन के सामने दीपिका पादुकोण।

रजाई जिसे चेक आधी रात को माता -पिता करते थे कि कहीं इसने लात मारकर नीचे तो नहीं गिराई है फिर सुबह बताते थे तेरी रजाई नीचे गिरी थी मैंने ओढाई है।❤️

Tripta bhatia ( tct)

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