*देशभर_मे_चुनाव_प्रक्रिया_मे_आमूलचूल_परिवर्तन_किए_जाने_की_आवश्यकता* *लेखक: महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
28 नवम्बर 2022- (#देशभर_मे_चुनाव_प्रक्रिया_मे_आमूलचूल_परिवर्तन_किए_जाने_की_आवश्यकता)-
चुनाव प्रक्रिया मे आमूलचूल परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है यह विचार भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार जी ने प्रकट किए है। मै उनके कथन से पूरी तरह सहमत हूँ। उनका यह कहना भी सही है कि हमारा लोकतंत्र चुनाव तंत्र बन कर रह गया है। देश मे हर समय कहीं न कहीं कोई न कोई चुनाव होता रहता है। दुनियाभर के अन्य देशों मे ऐसा नहीं है। भारत मे भी 1967 तक पूरे देश के सभी चुनाव 5 वर्ष मे एक बार होते थे, लेकिन उसके बाद दलबदल और धारा 356 के उपयोग/ दुरुपयोग के चलते पारिस्थितियां बदल गई। स्मरण रहे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक देश एक चुनाव की बात कर चुके है। उपचुनाव के प्रावधान को बदल वहां पर चुनाव मे दुसरे स्थान पर आने वाले को विजयी घोषित किया जा सकता है। मेरे विचार मे धारा 356 मे भी संशोधन कर केंद्र के पास बहुत ही आपात स्थिति मे विधान सभा को अधिकतम केवल छह मास के लिए निलंबित करने के अधिकार होने चाहिए, ताकि मध्यवर्ती चुनाव न करवाने पड़े। इसी प्रकार गहन विचार विमर्श के बाद लोकसभा के नेता का चुनाव साधारण बहुमत से हो लेकिन अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो तिहाई बहुमत के प्रावधान पर विचार किया जा सकता है।
यह तय है कि यदि एक देश एक चुनाव के लिए हम सोच रहे है तो बड़े परिवर्तन करने होंगे। ऐसा संशोधन लाना होगा जिससे उपचुनाव और मध्यवर्ती चुनाव से छुटकारा मिल जाए। हर समय चुनाव होते रहेगें नेता और सरकारी तंत्र चुनाव करने और करवाने मे व्यस्त रहेगें। देश की बुनियादी समस्याओं के लिए उनके पास समय ही नहीं होगा। अभी हिमाचल का चुनाव अभियान खत्म हुआ है और गुजरात मे चुनाव अभियान जारी है। सामने 2024 के आम चुनाव दिखाई दे रहे है उससे पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ मे भी चुनाव होने है। अभी हिमाचल के चुनाव मे प्रधानमंत्री जी सहित सभी बड़े मंत्रीगणो के दौरे हुए। सत्तारूढ़ दल की ओर से लगभग 249 जनसभाओं का आयोजन किया गया। हर समय चुनाव के महौल के चलते सरकारें कड़े फैसले नहीं कर पाती। हर समय चुनाव के चलते समय की बर्बादी और धन की भी बर्बादी होती है। हालांकि जो कुछ आदरणीय शांता कुमार जी ने कहा या मैने अपने ब्लॉग मे उनकी बात मे जोड़ा है उस पर गहन विचार विमर्श की आवश्यकता है। इसमे कानून के जानकार और संविधानविद सार्थक सुझाव दे सकते है। सब कुछ सम्भव है बस जरूरत होगी राजनैतिक इच्छा शाक्ति की जो वर्तमान नेतृत्व के पास निश्चित तौर पर है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।