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*पालमपुर सिविल हॉस्पिटल में लैब टेस्ट करवाने में लोगों को हो रहीभारी परेशानी।*

 

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पालमपुर सिविल हॉस्पिटल में लैब टेस्ट करवाने में लोगों को हो रहीभारी परेशानी।

पालमपुर सिविल हॉस्पिटल में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लैब टेस्ट के लिए कर्सना (krsnaa) डियागोनेस्टीक लिमिटेड कोअधिकृत किया गया है। यह कंपनी सिविल हॉस्पिटल पालमपुर में अपनी सेवाएं दे रही है ,परंतु इस लैब कंपनी के पास स्टाफ की कमी चल रही है। पूछताछ करने पर पता चला कि रात को 8:00 बजे से लेकर सुबह 8:00 बजे तक एक स्टाफ है ड्यूटी पर होता है नाईट ड्यूटी स्टाफ पर काम का काफी बोझ रहता है । क्योंकि उसी स्टाफ को सैंपल लेना कंप्यूटर में एंट्री करना रजिस्टर में एंट्री करना उसका रिकॉर्ड रखना आदि काम एक ही आदमी को करने पड़ते हैं ।
अब आप अंदाजा लगाइए कि किसी को अगर अपना सिंपल ब्लड शुगर टेस्ट करवाना हो तो पहले वह मरीज से पर्ची लेगा  फिर उसकी कंप्यूटर में एंट्री करेगा फिर उसकी रजिस्टर में एंट्री करेगा उसके बाद वह सैंपल लेने के काबिल होगा और फिर सैंपल भी उसी को लेना होता है इस सारे प्रोसेस में 10 से 15 मिनट लग जाते हैं, यदि यहाँ एक स्टाफ और हो तो यही काम चार पांच मिनट में हो जाएगा ।एक मरीज को अगर लाइन में खड़े हुए 10:15 मिनट लगते हैं तो  उसके पीछे जो चार या पांच मरीज  लाइन में लगे होंगे उसमें से 5वे मरीज का नंबर 1 घंटे बाद आएगा। वह भी तब यदि कंप्यूटर ने साथ दिया अगर वह हैंग हो गया फिर तो क्या कह सकते हैं कितना समय लगेगा।

क्योंकि स्टाफ एक है इसलिए उसे कंप्यूटर में भी एंट्री करनी होती है रजिस्टर में भी एंट्री करनी होती है सैंपल भी लेना होता है और फिर वह सैंपल संभाल कर उसका रिजल्ट भी देना होता है इतना सारा काम एक टेस्ट करने के लिए कम से कम 10 या 15 मिनट का समय ले ही लेता है। और फिर सुबह जो मरीज बिना खाए पिए टेस्ट करवाने जाते हैं उनकी हालत खस्ता हो जाती है और लाइन बढ़ती जाती है जिस मरीज के आगे 4 मरीज पहले से खड़े हों उसे समझो 1 घंटे का समय चाहिए।
सोचिएअगर किसी ने यूरिन टेस्ट करवाना है तो वह कितनी देर अपना यूरिन रोक कर रख सकेगा उसमें बुजुर्ग भी होते हैं महिलाएं भी होती हैं और बच्चे भी होते हैं ।हॉस्पिटल प्रशासन को शायद इस समस्या के बारे में पता नहीं और अगर पता है तो है वह आंखें मूंदे बैठा हुआ है ।क्योंकि पहले जो एसआरएल लैब थी उसमें स्टाफ की कमी नहीं थी और आपका कोई भी टेस्ट सैंपल अति शीघ्र ले लिया जाता था। यहां पर सैंपल देने के लिए लंबी कतारों में खड़े होना पड़ता है। क्योंकि एक स्टाफ कितने सैंपल कलेक्ट कर सकता है और वही स्टाफ कंप्यूटर भी देखेगा रजिस्टर भी देखेगा और एंट्री भी करेगा ।
अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि मरीजों की समस्याओं को देखते हुए उनकी सुविधा के लिए krsnaa Diagnostic से बात करके यहां पर्याप्त स्टाफ लगवाये जिससे मरीजों को दिक्कत ना हो और सैंपल देने वालों की परेशानी कम हो उन्हें घंटों इंतजार ना करना पड़े। क्योंकि पांच 10 मिनट के टेस्ट के लिए 1 घंटे तक लाइन में खड़ा होना मरीजों के साथ ज्यादती है।

हालांकि  krsnaa डायग्नोस्टिक ने जो लैब बनाई है वह काफी अच्छी सुंदर लग रही है परंतु इसके रिजल्ट्स कैसे हैं यह तो डॉक्टर लोग ही बेहतर बता सकते हैं।

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