Editorial ,MN SOFAT *आखिर_नकली_दवाई_के_मामले_मे_हाईकोर्ट_को_लेना_पड़ा_संज्ञान*
06 दिसम्बर 2022– (#आखिर_नकली_दवाई_के_मामले_मे_हाईकोर्ट_को_लेना_पड़ा_संज्ञान)–
हमारे सविधांन मे न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका का साफ- साफ कार्य विभाजन किया गया है। जहां कार्यपालिका असफल हो जाती है वहां न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ता है। यह भी सही है कि देश की जनता भी न्यायपालिका से उम्मीद रखती है। वद्दी से लगातार नकली दवा उत्पादन के समाचार, तीन गोदामो का पकड़ा जाना, सितंबर से अब तक नकली दवा उत्पादन का तीसरा मामला उजागर होना और करोड़ों रूपए की नामी कंपनियों के नाम से बनाई गई दवाइयों के पकड़े जाने की खबरों ने हिमाचल की जनता को हिला कर रख दिया है। मेरे विचार मे तो नकली दवा का उत्पादन जहर का उत्पादन है। इस सन्दर्भ मे पकड़े गए आरोपियों पर हत्या के प्रयास का मुकादमा चलना चाहिए। लोगो का मानना है कि यह सब राजनैतिक संरक्षण मे अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। उन्हे सन्देह है कि यह सारा मामला कुछ दिन तक खबरों मे रहने के बाद रफा- दफा हो जाएगा।
खैर मामले की गंभीरता को देखते हुए नकली दवा उत्पादन मामले मे हिमाचल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव सहित स्वास्थ्य एवं गृह सचिव को प्रतिवादी बनाया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष हो रही है। पीठ ने इस जनहित याचिका का आधार दैनिक समाचार पत्रों मे इस संबंध मे छपी खबरों को बनाया है। मेरे विचार मे संकट गहरा है और इस नकली दवा उत्पादन की जड़े बहुत गहरी है। इन जड़ों को उखाड़ फैकने के लिए विस्तृत विवेचना और कड़ी सजा की आवश्यकता होगी। अब मामले का संज्ञान कोर्ट ने लिया है और यदि इस सारे कांड की जांच हाईकोर्ट की निगरानी मे होती तभी सकारात्मक परिणाम की उम्मीद की जा सकती है। मेरा हाईकोर्ट से विनम्र निवेदन है कोर्ट की निगरानी मे एस आई टी का गठन कर जांच के आदेश दिए जाए।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।