05 नवम्बर 2022- (#मद्रास_हाई_कोर्ट_का_धर्मान्तरण_के_बाद_आरक्षण_को_लेकर_बड़ा_फैसला)–
भारत मे धर्मान्तरण बड़ी समस्या है। मेरे विचार मे यह सब अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र के अंतर्गत हो रहा है। ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म के प्रचारक एक सोची समझी साजिश के चलते हिन्दु समाज के गरीब, दलित और आदिवासियों को चिन्हित कर लालच और दबाव के चलते धर्मान्तरण के लिए प्रेरित कर रहे है। हालांकि कुछ प्रदेश सरकारों ने लालच या दबाव से धर्मान्तरण को गैर कानूनी घोषित कर रखा है, लेकिन फिर भी धर्मान्तरण जारी है। स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन पर किसी को एतराज नहीं हो सकता है लेकिन स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के उदाहरण ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे। अब प्रश्न है कि जिसने ऐसा धर्म अपना लिया है जिसमे जाति प्रथा नहीं है तो क्या उस धर्म मे जाकर भी उसको जाति आधारित आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। मै व्यक्तिगत तौर पर कुछ ऐसे परिवारों को जानता हूँ जिन्होने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है और साथ ही वह जाति आधारित आरक्षण का लाभ भी ले रहे है।
मद्रास हाईकोर्ट ने शनिवार को एक बड़े फैसले मे कहा है कि कोई व्यक्ति धर्म बदलने के बाद जाति के आधार पर आरक्षण का दावा नहीं कर सकता है। न्यायाधीश जी आर की अध्यक्षता वाली मद्रास हाईकोर्ट की पीठ ने सबसे पिछड़े समुदाय के एक हिन्दु व्यक्ति, जिसने इस्लाम धर्म अपना लिया था कि याचिका खारिज करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने धर्म परिवर्तन के बाद सरकार की नौकरी मे जाति आधारित आरक्षण की मांग की थी। वैसे लालच या दबाव के अतिरिक्त जो धर्मान्तरण हो रहा है उसका एक कारण हिन्दु समाज मे जाति आधारित भेदभाव है, लेकिन आरक्षण एक बड़ा आकर्षण है। विडंबना देखिए जिस जाति आधारित भेदभाव के चलते वह धर्मान्तरण कर रहे है उस जाति को वह आरक्षण के लालच मे धर्मान्तरण के बाद भी साथ ही रखना चाहते है। मेरा मानना है कि कानून धर्मान्तरण रोकने मे असफल हो रहा है। अगर हिन्दु समाज अपने गरीब, दलित और आदिवासियों से भेदभाव बंद कर दे तो धर्मान्तरण अपने आप समाप्त हो जाएगा। फिर शायद लालच और दबाव भी काम नहीं करेगा। खैर मद्रास हाईकोर्ट का निर्णय तर्क संगत और न्यायोचित है। इसका अभिनंदन है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।