*बढ़ती_देनदारियों_के_कारण_दबाव_मे_हिमाचल_की_आर्थिकी*
08 जनवरी 2023- (#बढ़ती_देनदारियों_के_कारण_दबाव_मे_हिमाचल_की_आर्थिकी)-
यह शीर्षक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक की उस रिपोर्ट का है जिसमे कैग की रिपोर्ट का अवलोकन कर कहा गया है कि आने वाले 5 साल मे सरकार की देनदारियों मे 11 हजार करोड़ की बढ़ौतरी होने जा रही है। सरकार को यह अदायगियां वेतन, पैंशन, ब्याज अदायगी, सामाजिक सुरक्षा व उपदान पर खर्च करनी पड़ रही है। अखबार के अनुसार कैग रिपोर्ट मे बढ़ते राजकोषीय घाटे व वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए गए है। मेरी समझ मे कांग्रेस की नई सरकार यदि अपने वायदे पूरे करती है तो हालात और बिगड़ सकते है। ओ.पी.एस, महिलाओं को 1500 रूपए और 300 यूनिट बिजली फ्री आर्थिक दबाव बढ़ाने वाले निर्णय होंगे। हिमाचल मे दशकों से वित्तीय प्रबंधन नहीं अपितु कुप्रबंधन हो रहा है और इसके लिए प्रत्येक सरकार जिम्मेदार है। किसी भी सरकार का न तो मितव्ययिता की ओर ध्यान है और न ही संसाधनो की बढ़ौतरी के प्रयास है। वर्तमान मे सरकार पैंशन, वेतन और पहले से लिए गए कर्ज के ब्याज अदायगी को करने के लिए बजट का 55 फीसदी से अधिक हिस्सा व्यय कर रही है। कर्ज की वापसी के लिए और कर्ज उठाया जा रहा है।
मेरे विचार मे वित्तीय प्रबंधन को लेकर भाजपा और कांग्रेस की दोनो सरकारों की कार्यप्रणाली लगभग एक समान है। कई अन्य प्रदेशों की वित्तीय हालात भी खराब है। कुछ प्रदेश तो योजना का पैसा गैर योजना मे खर्च कर काम चला रहे है। कभी योजना आयोग इस प्रकार के पैसे के स्थानांतरण पर कड़ी नजर रखता था, लेकिन अब योजना आयोग को नीति आयोग मे बदलने के बाद यह निगरानी कमजोर हुई है। केजरीवाल के मुफ्तवाद के सामने सभी राजनैतिक दलों ने हथियार डाल दिए है। किसी दल ने हिम्मत के साथ मतदाताओं को यह समझाने का प्रयास नहीं किया कि ऐसा करना देश और हमारी आने वाली पीढ़ीयों के लिए हितकर नहीं होगा। मै हिमाचल को लेकर तल्ख टिप्पणी से बचते हुए इतना ही कहना चाहता हूँ कि कैग की रिपोर्ट आने वाले दिनो मे आर्थिक दबाव की ओर इशारा कर रही है। नई सरकार को आर्थिक प्रबंधन को मज़बूत करते हुए सुनिश्चित करना होगा कि यह आर्थिक दबाव आर्थिक संकट मे न बदले।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।