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*सुचेतगढ़, सियालकोट और मील पत्थर : हेमंत*

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सुचेतगढ़, सियालकोट और मील पत्थर
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कल शाम पुरानी फोटो देख रहे थे तो उसमें एक सुचेतगढ़ बॉर्डर (जम्मू कश्मीर) की भी निकल आई। यह फरवरी 2012 की है। मेरा तबादला जम्मू कश्मीर से चंडीगढ़ हो गया था। दो दिन बाद मुझे चंडीगढ़ जॉइन करना था। वैसे यहां जाना होता रहता था लेकिन उस रोज हम एक मित्र के परिवार को यह जगह दिखाने ले गए थे। सुचेतगढ़ बेहद खूबसूरत जगह है और कभी समय लगे तो जरूर जाना चाहिए। एक जमाना था जब जम्मू से सियालकोट तक ट्रेन चला करती थी। यह रेलवे लाइन जेएंडके की पहली लाइन थी। विभाजन के बाद सब बंद हो गया। कुछ समय से यहां अटारी बॉर्डर की तरह रिट्रीट सेरेमनी भी होने लगी है। हालांकि अटारी-बाघा की तरह यहां पाकिस्तान शामिल नहीं होता।
एकदम सामने पाकिस्तानी शहर सियालकोट है। वही सियालकोट जो दुनिया में फुटबॉल बनाने के लिए मशहूर हैं। विश्व कप में बेशक पाकिस्तान का कहीं नाम नहीं होता लेकिन ज्यादातर मुकाबलों में यहीं की बनी फुटबॉल इस्तेमाल होती है। बताते हैं करीब 60 हजार लोग फुटबॉल बनाने का ही काम करते हैं। वही सियालकोट जहां पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा, मशहूर अभिनेता राजेंद्र कुमार, सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तान हमारा लिखने वाले इकबाल और प्रसिद्ध शायर फैज अहमद फैज पैदा हुए थे।
फोटो से जुड़ी बात चल ही रही थी कि फोटो के साथ लगे माइल स्टोन (मील पत्थर) के रंग का जिक्र छिड़ गया। ऊपर वाली हरे रंग की पट्टी का। इस बारे में भी बात हो गई। जिन्हें पता नहीं उन्हें भी बता दूं। असल में माइलस्टोन पर लगे रंग बताते हैं कि आप किस सड़क पर हो। मसलन मेरे वाली फोटो में हरे रंग की पट्टी है। इस रंग का मतलब है कि आप स्टेट हाइवे पर हैं। ऐसी सड़क जिसे राज्य सरकारें बनाती हैं। इसी प्रकार यदि यह पट्टी पीले रंग की हो तो इसका मतलब हुआ आप नेशनल हाइवे पर हैं। नारंगी रंग की पट्टी हो तो समझ लें कि यह किसी गांव की सड़क है और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी है।
सुचेतगढ़ की फोटो के बहाने बात कहीं और ही निकल गई। हां एक और बात। यह क्षेत्र बेहतरीन बासमती चावल के लिए भी मशहूर है। इस पर फिर कभी बात करेंगे।

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