पाठकों के लेख एवं विचार

*गुलमोहर तुम फिर से खिल उठे हो ,मुझे पता है यार की तुम पर भी पतझड़ आया था …..!* *Babita Pundir*

1 Tct
Tct chief editor

गुलमोहर तुम फिर से खिल उठे हो ,मुझे पता है यार की तुम पर भी पतझड़ आया था …..!

अब खिल के मुस्कुरा रहे हो ,मुझे पता है कि धूल धक्कड़ ने तुम पे घर बनाया था …..!

मैने तो तुमको निर्जीव समझ रखा था ,आज देखा कि हर डाली पर तु खिलकर बैठा है ….!

तुझे पता है कि वसंत के बात गुलमोहर तू फिर से बिखर जायेगा …मगर
फिर से वसंत आयेगा और फिर से तू खिलखिलायेगा …!

गुलमोहर तुम फिर से खिल उठे हो ,मुझे पता है यार की तुम पर भी पतझड़ आया था …..!

कु. बबीता पुण्डीर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button