पाठकों के लेख एवं विचार

*कुछ लोगों का दिख जाना उतनी ख़ुशी नहीं देता जितना तकलीफ़ दे जाता है उनके चेहरे का उड़ा हुआ रंग..!* तृप्ता भाटिया*

 

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कुछ लोगों का दिख जाना उतनी ख़ुशी नहीं देता जितना तकलीफ़ दे जाता है उनके चेहरे का उड़ा हुआ रंग..!
उनकी आंखों में सवाल और रुका हुआ पानी जो पलकों के किनारों को भिगो तो देता है पर बाहर आने नहीं देता। उनकी वो झूठी सी हंसी जो चहरे पर आने से पहले ही खत्म हो जाती है। उनकी गले तक घुटन जो एक ज़ोर से लगने पर दबाई जाती जैसे फस गया हो ज़िन्दगी और साँसों के बीच कोई।
उनकी वो तेज़ रफ़्तार दिल की धड़कन मानो अब निकले प्राण के अब निकले
उनकी वो हाथों की कम्पन जो बढाते भी मिलाने को तो उठ ही नहीं रहे हों
कुछ अपने पराये हुए हैं और कुछ पराये लाख चाहने पर भी अपने न हुये
ज़िन्दगी ख़ैर !फ़टी है तो सीं लो जैसे चल रहा है वैसे जी लो।

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