*विपक्ष_मे_भाजपा_के_शुभचिंतको_की_नहीं_कमी*
11 अप्रैल 2023- (#विपक्ष_मे_भाजपा_के_शुभचिंतको_की_नहीं_कमी)–
विपक्ष ने अदानी और मोदी की दोस्ती को बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास किया है। कांग्रेस के नेतृत्व मे अदानी समूह की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग को लेकर संसद का सारा सत्र हंगामे और व्यवधान की भेंट चढ़ गया। हालांकि जब देश की सर्वोच्च अदालत पहले से अडानी समूह की जांच के लिए विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर चुकी है और उस कमेटी को जांच सौंपी जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच कमेटी गठन के बाद विपक्ष की जेपीसी मांग के औचित्य पर कई बुद्धिजीवी प्रश्न खड़े कर चुके है। यह उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने सरकार द्वारा सुझाए गए नामो को न मानते हुए अपनी तरफ से विशेषज्ञों को नामित किया है, लेकिन अब विपक्ष के बड़े नेता और रणनीतिकार शरद पवार भाजपा को बेल आऊट करने के लिए आगे आए है। उन्होने स्पष्ट शब्दों मे जेपीसी की मांग के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि इसके गठन और इसकी जांच से कोई लाभ नहीं होगा।
पवार ने अदानी समूह का भी बचाव करते हुए कहा कि यदि उन्होंने कुछ गलत किया है तो उसकी जांच की जा सकती है, लेकिन किसी औद्योगिक घराने को इस प्रकार टार्गेट करना सही नहीं है। उन्होने आगे कहा कि पहले टाटा और बिरला की आलोचना की जाती थी। वर्तमान मे अम्बानी और अदानी टार्गेट किए जा रहे है। मेरी समझ मे पवार के इस ब्यान ने विपक्ष के इस मुद्दे की सारी हवा निकाल दी। पवार एक वरिष्ठ राजनेता है वह सारी राजनीति समझते है। वह अपने बयान का प्रभाव भी जानते है। उन्होने निश्चित तौर पर सोच समझ कर उपरोक्त ब्यान दिया होगा और जानते हुए दिया होगा कि इस ब्यान का लाभ भाजपा और अडानी समूह को होगा। इससे पहले भी विभिन्न अवसरों पर माया और ममता भी भाजपा की मदद कर चुकी है। पवार का यह बयान निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव मे की जाने वाली कथित विपक्षी एकता मे अवरोध का काम कर सकता है और भाजपा को लाभ पहुंचा सकता है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।