

19 अप्रैल 2023- (#सत्यपाल_मलिक_के_सनसनीखेज_इंटरव्यू_और_सरकार_की_खामोशी)-
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का करण थापर और प्रकाश टंडन को दिए इंटरव्यू निश्चित तौर पर सनसनीखेज है। हालांकि उनके ब्यानों मे झलकता विरोधाभास उनके ब्यानों की विश्वसनीयता को कम करता है। एक ब्यान मे कभी वह कहते है कि देश के प्रधानमंत्री के पास जम्मू-कश्मीर को लेकर जानकरियों का अभाव था तो दूसरी ओर वह कहते है कि जम्मू-कश्मीर के लिए सबसे अधिक काम वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा अस्सी हजार करोड़ का विकास पैकेज दे कर किया गया है। वह गृहमंत्री के साथ हुई अपनी बातचीत से भी पलट जाते है। इस सब के बावजूद उनके ब्यानों की न तो अनदेखी की जा सकती है और न ही सरकार और सत्तारूढ़ दल का मौन समझ आ रहा है। आखिर उन्होने पुलवामा जैसे संवेदनशील मामले पर टिप्पणी करते हुए उसके लिए गृहमंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया है। वह तीन सौ करोड़ की रिश्वत की पेशकश का आरोप भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी पर लगा रहे है। अब वह बार- बार भाजपा के पूर्व महासचिव राम माधव का नाम भी ले रहे है। हांलाकि यदि यह आरोप सच है तो उन्हे रिश्वत की पेशकश करने वाले के खिलाफ उसी समय एक्शन लेना चाहिए था या कम से कम बात सार्वजनिक करनी चाहिए थी।
यह भी उल्लेखनीय है कि वह सरकार से अपनी सुरक्षा कम किए जाने के कारण नाराज है और बार बार सरकार से जेड प्लस सुरक्षा की मांग कर रहे है। स्मरण रहे सत्यपाल मलिक समाजवादी पृष्ठभूमि के राजनेता है और कभी चौधरी चरण सिंह के बहुत निकट रहे है। वह सुविधा की राजनिति करते हुए लगभग सभी प्रमुख पार्टियों मे रहने का अनुभव प्राप्त कर चुके है और आनंद ले चुके है। भाजपा अपने दायरे को बढ़ाने के लिए मलिक जैसे लोगो को साथ जोड़ने का प्रयोग करती रहती है। ऐसे बाहर से आए लोगो को जो पद और स्थान मिलते है निश्चित तौर पर वह अपने वैचारिक कार्यकर्ताओ और नेताओ की कीमत पर दिए जाते है। सत्यपाल मलिक आज कल जो इंटरव्यू दे रहे है उसमे सबसे अधिक प्रधानमंत्री को निशाना बना रहे है। मलिक के ब्यानों को विपक्ष हाथो हाथ लपक कर राजनैतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहा है। मेरे विचार मे सरकार और सत्तारूढ़ दल को सत्यपाल मलिक के आरोपों का आधिकारिक तौर पर जवाब देना चाहिए, अन्यथा मौन को आधी स्वीकृति माना जाता है।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।