*नगर निगम के कर्मचारियों की कार्यशैली कमाल की…..*
नगर निगम के कर्मचारियों की कार्यशैली कमाल की…..
नगर निगम पालमपुर के कार्य प्रणाली सचमुच प्रशंसा के काबिल है यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों को श्रमश्री का पुरस्कार दिया जाना चाहिए. पिछले चार-पांच दिनों से कैप्टन सुधीर वालिया चौक के पास सीवरेज की लाइन खराब है कर्मचारी लोग आए सीवरेज का ढक्कन खोला और चले गए।
2 दिन बाद फिर आए सीवरेज के ढक्कन को एकदम ऊपर कर दिया और उसको वैसे ही खुला छोड़ कर निकल लिए ।
यह सीवरेज का भारी-भरकम ढक्कन तीखे मोड़ पर है और सड़क से लगभग 10 -12 इंच ऊपर को उठा हुआ है जैसा कि नीचे दिए गए चित्र में स्पष्ट है ।अगर कोई जाने अनजाने रात या दिन के समय मे भी अगर किसी भी दोपहिया वाले से जरा सी भी भूल हुई तो उसकी टांग समझो टूट गई ।
कर्मचारियों का क्या जाएगा ?कुछ भी नहीं …लेकिन वह बेचारा जीवन भर के लिए अपाहिज हो जाएगा ।
इतनी लापरवाही तो शायद कोई कर ही नहीं सकता अगर यह ढक्कन आप ने ऊपर उठाया ही है तो इसके आगे कुछ 2-4 पत्थर रख देते 2-4 के टुकड़े रख देते एक इंडिकेशन साइन बना देते कुछ और नहीं तो किसी पेड़ की दो टहनियां झाड़ियों की 2-4 टहनियां वहां पर लगा देते ताकि आने जाने वाले सतर्क रहते और अचानक से उस खड्डे में गिरने से या एक्सीडेंट होने से बच जाते ।
यह जरूरी नहीं कि यहां पर एक्सीडेंट होगा ही या कोई इस गड्ढे में जाने अनजाने में गिर ही जाएगा लेकिन safety saves के आधार पर यहां पर कुछ इंडिकेशन या साइन लगाना ही चाहिए था ।कुछ और नहीं तो आरे पर पड़ा कोई पुराना log यहां पर रख देते हैं जिससे कि आने जाने वाला सतर्क हो जाता।
दो पहिया वाहन की बात छोड़िए अगर यहां पर कोई कार भी आ जाए तो उसका एक्सल टूट जाएगा और चेसी में बेंड आ जाएगा उसका बंपर टूट सकता है नुकसान हो सकता है और कोई मरीज बीच में बैठा हो तो वह भी घायल हो सकता है।
परंतु इससे फील्ड स्टाफ को क्या फर्क पड़ने वाला है क्योंकि जिस तन लागे कि वही तन जानेगा ना? निगम के कर्मचारी तो शासक प्रशासक या जनप्रतिनिधियों की सुनने को तैयार ही नही होते। यह नहीं मानेगें अपनी मर्जी करेंगे। किसी की नहीं सुनेंगे फील्ड में जाने की बजाय दफ्तरों में बैठकर आराम से चाय पिएंगे, फील्ड में नहीं जाएंगे ।
फील्ड के लोअर स्टाफ ने जो कर दिया सब ठीक है इनकी सुपरविजन के कोई मायने नहीं इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं कोई जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाए इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता यही हाल सुभाष चौक के पास लगे नाली पर ग्रेटिंग का है ।वहां पर किसी का पैर टूट जाए किसी स्कूटी वाले की टांग टूट जाए कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कछला की कड़ी मेहनत के बाद बार-बार रिक्वेस्ट करने के बाद वहां पर जाली ग्रीटिंग लगाई ही तो वह भी आधी। काउंसलर के कहने के बावजूद भी वहां पर ढंग से काम नहीं हुआ।
लगता है नगर निगम के काउंसलर कर्मचारियों के आगे बेबस है। कुछ और नहीं कर सकते थे तो यहां पर कम से कम साथ में पड़ा बांस का टुकड़ा ही रख देते ताकि लोगों को एक इंडिकेशन मिल जाती अब यह बात भी लोग बताएंगे तो निगम के लिए नहीं पर लोगों के लिए शर्म की बात है😀
आप की खबर का असर हुआ और वहां पर जहां दुर्घटना की संभावना थी चूने के निशान लगा दिए गए ताकि लोग सावधान हो जाएं और एक्सीडेंट होने से बचा जाए इसको बोलते हैं खबर का असर