पाठकों के लेख एवं विचार

*मणिपुर* लेखक उमेश बाली

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मणिपुर
मणिपुर की घटनाओं के बारे में सब को पता है कि यह मैतई और कुकी आदिवासियों के बीच झगड़ा है जिसमें आरक्षण भी कारण है । एक तरफ मैती है जिनका बर्चस्व अधिकांश इलाके में है और दूसरी तरफ कुकी हैं जो पहाड़ी इलाके में आदिवासी है और पहाड़ी इलाके पर अधिकांश काबिज है । कुकी आदिवासी थे और मैती को आदिवासी दर्जा देने की बात न्यायलय की जिसे कुकी लोगो ने विरोध शुरू किया जो हिंसक रुप में बदल गया । अब आता है सरकार का पक्ष जिसने कहीं न कहीं कोताही की है या बहुसंख्यक मैती समुदाय की फेवर में रही है ऐसा अनुमान है । ख़ुद भारत के गृह मंत्री वहां बैठे रहें लेकिन शायद राज्य सरकार ने अपने तर्क रखे होंगे और अपनी ही सरकार को केंद्र गलत कह भी नही सका या ऐसी तस्वीर पेश की कि राज्य सरकार स्थिति संभाल लेगी लेकिन ऐसा हुआ नही । राज्य सरकार और मीडिया दोनों ही सही तस्वीर पेश नही कर सके । बात बढ़ती गई और मई में वो हो गया जो भारत के माथे पर कलंक लगा गया और प्रधानमन्त्री तक विपक्ष के निशाने पर आ गए । पहली गलती इस दुखद घटना को छिपाया गया , दूसरा कसूरवारों पर राज्य सरकार की कार्यवाही न करना ।यह घटना केवल नग्न घुमाने तक ही सीमित ही नही रही अपितु इससे कहीं अधिक सार्वजनिक रुप से नग्न महिलाओं के शरीर को मुझे लिखते हुए भी शर्म महसूस हो रही है , इस कदर बेइज्जित किया गया कि इनसान की रूह कांप जाए । उसके बाद ब्लातकार । इतनी हैवानियत शायद पूरे संसार में कभी नही हुई । अगर कोई ईसाई भारत में रहते हैं चाहे धर्मांतरण से ही क्यों न हो वो भी भारत के उतने ही नागरिक हैं जितने हम । बाकि महिला किसी भी धर्म या जाति की क्यों न हो किसी को भी अधिकार नही कि उनके सम्मान को तार तार करे । अगर यह आज का भारत है जिसमें निर्भया हर जगह तार तार होती रहेगी तो लेखक को मर जाना बेहतर समझता है । क्या करना उस तरक्की का जिसमे आज भी निर्भया चीख रही है । यह तो मुगल कालीन अत्याचारों से भी बडा अत्याचार है जिसे 21वी सदी के सभ्य समाज हम देख रहे हैं । इससे पहले गुजरात दंगो के दौरान भी भीड़ में एक गर्भवती महिला पर रहम नहीं किया था जिसका गोधरा अपराध से कोई या कुछ भी लेना देना नही था । सवाल तो उठेंगे अगर ब्लातकारिओ को और अपराधियों को हार पहनायोगे। यह कैसा भारत बनाया जा रहा है । हमने तो व्यवस्था परिवर्तन की उम्मीद की थी । हमने तो सोचा था कि कानून और न्याय व्यवस्था निष्पक्ष और प्रभावी होगी , देहली दंगो जैसी घटनाएं नही होंगी कोई निर्भया दोबारा दरिंदो का शिकार नही होगी लेकिन जो अपराधी अतीत में फलफूल रहे थे वो अब नए रुप में सामने आएंगे । अतीक और अंसारी नही होंगे लेकिन पुरानी शराब नई बोतल और लेवल में मिलेगी ।

Umesh Bali Tct

उबाली ।

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