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(*आपदा और हम* editorial

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आपदा और हम
अगर बहुत अधिक पहले अतीत में न भी जाया जाए तो हिमाचल में लकड़ी के मकानों का रिवाज था
आज भी कुल्लू मनाली जैसे क्षेत्रों में कुछ पुराने मकान मिल जायेंगे । हल्के मकान पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक दवाब पहाड़ों पर नही पड़ने देते थे । अंग्रेजो के पास तकनीक थी लेकिन मकान या दफ्तर उन्होंने लकड़ी के ही बनाए थे । हैरानी हैं शिमला में आजादी के बाद तमाम लकड़ी के दफ्तरों को धीरे धीरे आग के हवाले किया गया । यह रिकॉर्ड फूंकने के तहत साजिश हुई या घोटाले थे कोई जानकारी नहीं इस बारे में । धीरे धीरे शिमला कुल्लू मनाली चंबा सब कंक्रीट के जंगल में तबदील हो गए । हालांकि प्रकृति सूचना देती रही कभी लक्कड़ बाजार धंसा कभी रिज को खतरा हुआ लेकिन न सरकार चेती न जनता । रिज पर राजनितिक या अन्य रैलियों पर रोक भी लगी लेकिन फिर आरंभ कर दी । मनाली और कुल्लू में भी पहले तांडव देख चूके लोग फिर व्यास का रौद्र रुप भूल गए । अगर अब भी नही चेते तो धर्मशाला भी खतरे के निशान को पार कर रहा है , बैजनाथ का भी कुछ भाग खतरे में है । ऐसे और बहुत से इलाके हैं । मसला एक दूसरा भी है जो भ्रष्टाचार नामक है । यह ठीक और सत्य है कि हम आज लकड़ी का उपयोग नहीं कर सकते कयोंकि जंगल और पर्यावरण खतरे में है । लेकिन prefabricated structure की और बढ़ सकते हैं । पहाड़ सदा ही दरकते रहे हैं पहले आबादी कम थी अब आबादी का भी दवाब और निर्माण का भी दवाब है । अभी तक हमारे मानव निर्मित सुमंद्रो का भी अध्ययन नही हुआ । क्या बड़े बड़े टिहरी जैसे अन्य समंदर भी पहाड़ों को चोट पहुंचा रहे है इनके भी अध्ययन की अवश्यकता है । आखिर दवाब तो पड़ता है जहां अरबों टन पानी इक्कठा होगा । अब जा कर वैकल्पिक ऊर्जा की तरफ देश बढ़ रहा है । कोई सीमा तो होनी चाहिए और अध्ययन भी होना चाहीए । पर्यावरण विशेषज्ञ भी कोई सलाह सरकार को नही देते । नेता लोग विदेश जा कर आते हैं लेकिन कम से कम वहां छोटे मकानों पर तो राय रख ही सकते हैं । मैं खुद महसूस करता हू कि बडा मकान बना कर गलती की है । बडे़ मकान रख रखाव के लिए भी मुश्किल हैं । कुछ मामलो में हमे वापिस लौटना होंगा और आधुनिक तकनीक से निर्माण की और बढ़ना होंगा । साथ ही साथ जनसंख्या नियंत्रण पर राजनीति और धर्म की बात न मान कर समग्रता और ईमानदारी के साथ बढ़ना होंगा । वरना 6 से ऊपर का एक भूकंप काफी होगा । संभल जाइए हम खतरे की जद में हैं ।

Umesh Bali Tct

उबाली “

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