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*#इन_जख्मों_की_तुरपाई_को #हेमांशु_मिश्रा*
#इन_जख्मों_की_तुरपाई_को
#हेमांशु_मिश्रा
इन जख्मों की तुरपाई को
अब तो एक सिलाई चाहिए,
सम्बन्धों में लगाए जो मलहम
ऐसी कोई परछाईं चाहिए,
बनाये माहौल खुशनुमा
ऐसी इक रहनुमाई चाहिए,
कुछ तो तकाजा होगा,
इस नुकसान की भरपाई का
शिद्दत से, जज़्बे की गहराई चाहिए ।
भूल जा रुसवाई बेवफाई और तन्हाई,
मेहनत से जुट जा
परिश्रम की इंतेहाई चाहिए,
इस नुक्सान की खाई को
पाट सके ऐसी अब भरपाई चाहिए
इन ज़ख्मो की तुरपाई को,
हाँ अब तो इक सिलाई चाहिए,
भावनाओं को सहेजे
ऐसी कोई दवाई चाहिए,
मानवीय रूहानी संवेदना
परखे समझे सहलाये
अब तो रोशनाई चाहिए,
मिल कर बढ़ाये, सहारा दे
ऐसी अब तरुणाई चाहिए,
बोल सके जो अन्याय के खिलाफ
ऐसी साफगोई चाहिए।
इन ज़ख्मो की तुरपाई को,
हाँ अब तो इक सिलाई चाहिए,