*उधर मोहब्बत की दुकान खुली है ,इधर पड़ गई प्यार की झप्पी*
जहां हिमाचल के मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने शिखर सम्मेलन में रात्रिभोज पर शामिल होकर एक अच्छा संदेश दिया है वही सुक्खू का यह कथन कि में रोटी खाने नहीं हिमाचल को सहायता देने के लिए प्रधान मंत्री से मिला था लोगों के गले से नहीं उतर रहा है क्योंकि सरल विधि है कि G20 का सम्मेलन चल रहा था वहां पर कोई कैसे अपने प्रदेश की बात कर पाएगा क्योंकि प्रधानमंत्री की व्यस्तता इतनी अधिक थी कि उन्हें इस विषय पर बात करने का समय ही नहीं था वास्तव में किसी भी मुख्यमंत्री या अन्य राजनीतिक नेता से देश प्रदेश की राजनीति पर चर्चा करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। शायद सुखविंदर सिंह सूखने भी नहीं सोचा होगा कि प्रधानमंत्री इस तरह से इतनी आत्मीयता से उनसे मिलेंगे और फोटो सेशन करवा लेंगे राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय अवश्य बन गया
बहुत ही डिप्लोमेटिक बयान है कि मैं वहां पर खाना खाने नहीं गया था बल्कि प्रदेश की बात करने गया था यह बयान भी किसी के गले से नहीं उतर रहा है
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार व सुक्खू को प्रधान मंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति से भी मिलाया और प्रधान मंत्री ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ एक आत्मीय मिलन के साथ फोटो भी खिचवाई जिससे विरोधियों के होश उड़ गये। अब प्रश्न यह होता है कि मोदी ने इतनी व्यवस्तता के बाद भी चाणक्य नीति का भरपूर इस्तेमाल किया और इन दोनों मुख्यमंत्री को जो बाइडन से मिलवा कर इनकी वैल्यू बढ़ा दिया इन्हें अपने पक्ष में कर लिया
उधर हिमाचल प्रदेश में यहां पर भाजपा के आंतरिक विरोधी गुट के नेताओं का कहना है कि काश मोदी जी ने इतनी आत्मीयता जय राम ठाकुर के साथ दिखाई होती तो आज भाजपा की सरकार होती।
मोदी की राजनीति का जवाब नहीं