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*गरीब के पैसे से गरीब के लिए बना था अस्पताल गरीब को छूट 0% अमीर हो रे मालामाल! कमाल कमाल कमाल!!*

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*गरीब के पैसे से गरीब के लिए बना था अस्पताल गरीब को छूट 0% अमीर हो रे मालामाल! कमाल कमाल कमाल!!*

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परमआदरणीय जी ने बड़ी मेहनत से बड़ी लगन से बड़ी निष्ठा से बड़ी परिपक्वता से बड़ी सोच और ऊंची समझ से गरीब लोगों को एक तोहफा देने की सोची थी ताकि गरीब खुद को गरीब महसूस ना करें। वे लोग अपनी गरीबी के कारण अपना दम ना तोड़ दे। उन्होंने स्वयं प्रेस वार्ता में बताया था कि वह प्रदेश के सबसे ऊंचे पद पर थे तो उन्हें इलाज करवाने में व विदेश जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई फिर भी अपनी सुविधा को नजर अंदाज करके उन्होंने गरीबों के लिए सोचा कि मैं तो उच्चतम पद पर हूं मैं किसी भी अस्पताल में चला जाऊं देश में या विदेश में, मुझे तो वीआईपी ट्रीटमेंट मिल जाएगा तुरंत एक अंतिम छोर पर बैठा हुआ गरीब क्या करेगा ?अगर उसे खुदा ना खस्ता ऐसी कोई बीमारी हो जाए जिसका इलाज यहां पर संभव न हो । इलाज करने के बात तो छोड़ दीजिए उसके पास बस में बैठकर चंडीगढ़ तक जाने का किराया तक ना हो वह इलाज करने की क्या सोच सकता है कैसे सोच सकता है। इसी दुख दर्द को समझते हुए उन्होंने एक सपना देखा था कि यहां पर एक ऐसा अस्पताल बना दिया जाए जिससे गरीब लोग सरकारी हॉस्पिटलों के खर्चे के मुताबिक अपना इलाज यहीं करवा सके ।यहां पर एक उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थान हो। क्योंकि पालमपुर में ऐसी कोई भी चिकित्सा की सुविधा नहीं थी जो आपातकाल में मरीज को मिल सके।

पालमपुर से चंडीगढ़ जाना हो 6 7 घंटे का सफर है और ऊपर से सड़कों की कंडीशन इतनी बढ़िया है कि मैरिज झटके खा खा कर या तो ठीक हो जाएगा या सीधार जाएगा।
किसी भी बीमारी का आपातकालीन इलाज गरीबों को उनके घर द्वार पर मिले ऐसी सोच लेकर एक सपना संजोया गया जो धरातल पर उतरा भी परंतु वास्तविकता से काफी दूर रह गया। जिस उद्देश्य के लिए यह सपना संजोया गया था वह बिल्कुल टूट कर चकनाचूर हो चला है ।
आम तौर पर मरीज को पालमपुर बाजार में दवाइयां पर पांच से लेकर 70% तक की छूट मिलती है कहीं पर 50% की छूट मिलती है और अगर आप बिल्कुल अनजान है तो भी दवाइयां पर आपको कोई भी मेडिकल स्टोर वाला 10 से15 परसेंट की छूट दे देता है ।परंतु सपनों के अस्पताल में आपको एक परसेंट की भी छूट नहीं दी जाती सिफारिश करवा लो तो शायद मिल जाए।
क्या इस अस्पताल में दवाइयां पर छूट ना देना गरीब लोगों के साथ अन्याय नहीं है ?क्योंकि अमीर लोग तो पूछेंगे भी नहीं की कौन सी दवाई कितने की है लेकिन गरीब आदमी जो दिहाड़ी लगाकर अपना घर चलना है उसे तो ₹50 की छूट भी बहुत बड़ी छूट लगती। ऐसा क्या है कि जो दवाइयां आम मार्केट में कम से कम 15% छूट पर मिल जाती है और किसी पर तो 40 -50% की छूट भी दी जाती है यहां लागू नहीं हो सकता. सरकारी दवाइयां की दुकान में भी आप 5 से लेकर 50% तक की छूट पा लेते हो बिना किसी सिफारिश के, और बिना किसी जान पहचान के, तो फिर ऐसा यहां क्यों नहीं हो रहा ?क्या इस सपनों के अस्पताल में केवल सपने देखने का हक चंद अमीर लोगों को ही है।

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