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*धारा 370 समाप्त करने पर उच्चतम न्यायालय की मोहर लोकतंत्र की जीत: शांता कुमार पूर्व मुख्यमंत्री*

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*धारा 370 समाप्त करने पर उच्चतम न्यायालय की मोहर लोकतंत्र की जीत :शांता कुमार पूर्व मुख्यमंत्री*

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पालमपुर 13 दिसम्बर, 2023 पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा इस वर्ष की सबसे बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि जम्मू-काश्मीर में धारा 370 को समाप्त करना है। कई बार श्री अडवाणी जी को यह कहते हुए सुना था कि 1953 में हजारों लोगों ने सत्याग्रह किया। डा० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान हुआ परन्तु धारा 370 समाप्त नही हुई। अब इसे समाप्त करना बिलकुल असम्भव लगता है।

उन्होंने कहा उस असम्भव को श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सम्भव करके दिखा दिया। देश का सौभाग्य है कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस पर अपनी मोहर लगाई। भारत की एकता के लिए यह सबसे बड़ा कलंक अब हमेशा के लिए समाप्त हो गया।

शान्ता कुमार ने कहा आज से 70 साल पहले 1953 में डा० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में भारतीय जन संघ हिन्दु महासभा और राम राज्य परिषद तथा राष्ट्रीय स्वंय संघ ने इसी धारा 370 को समाप्त करने के लिए ऐतिहासिक संर्घष किया था। लगभग 70 हजार कार्यकर्ताओं ने सत्याग्रह किया, जेलों में गये। जम्मू-काश्मीर प्रजा परिषद के नेतृत्व में बड़ा आन्दोलन हुआ। हीरानगर जैसे कुछ स्थानों पर सरकार ने गोली चलाई। कुछ लोग शहीद हुए। प्रजा परिषद के अध्यक्ष पण्डित प्रेम नाथ डोगरा ने अपने हाथों से स्वयं अपना श्राद्ध किया और फिर सत्याग्रह करके जेल गये। क्योंकि जेल से जीवित आने की आशा नही थी। उस समय पूरे भारत में इस सत्याग्रह के कारण सघर्ष का वातावरण था।

उन्होंने कहा मैं तब 19 वर्ष का था। अध्यापक प्रशिक्षण प्राप्त करके बैजनाथ के निकट कृष्णानगर स्कूल में अध्यापक लगा। अध्यापक लगे केवल 17 दिन हुए ये मुझे संघ का आदेश हुआ कि कांगड़ा जिला का एक जथा लेकर सत्याग्रह करूं। पठानकोट में सत्याग्रह किया। गुरदासपुर जेल में लगभग 400 कार्यकर्ताओं के साथ 10 दिन रहा। उसके बाद 20 साल से कम आयु वाले हम 19 सत्याग्रहियों को पठानकोट से हिसार जेल में भेज दिया। जून महीने की भयंकर गर्मी कांगड़ा से पहली बार बाहिर निकले। हम परेशान थे हिसार जेल में जाते ही आदेश हुआ कि हम अपने कपड़े उतार कर जेल के कपड़े पहने। हमने कहा हम अपराधी कैदी नही कपड़े पहनने से इन्कार कर दिया। हम सबकी बुरी तरह पिटाई की गई और जेल के एक बहुत बड़े भवन में फांसी वाले सैलों में एक-एक को अलग बन्द कर दिया गया। आज सोचता हूं कि हम सब बालकों में कितना जोश और जनून था। हमने अपने अपने सैलों से नारे लगाये और भूख हड़ताल शुरू कर दी। दूसरे दिन हमें बाहिर निकाला गया। जेल वार्डनों के हाथों उस नृशंस पिटाई की याद आज भी 70 साल के बाद रोंगटे खड़े कर देती है परन्तु 19 बालक सत्याग्रहियों का जनून और जोश आज भी आनन्दित करता है।

8 मास के बाद जेल से रिहा हुए तो गेट के बाहिर छोड़ दिया। नियम के अनुसार घर तक किराया नही दिया। क्योंकि हम ने अपना पता केवल भारतवर्ष लिखा था। पता नही किस हिसाब से सबको नौ नौ आने दिये । बाहिर निकलते ही पहली चाय की दुकान पर नौ आने की चाय पी क्योंकि – 8 मास चाय नही मिली थी। हिसार संघचालक के घर पर पहुंचे। उन्होंने घर आने का प्रबन्ध किया।

शान्ता कुमार ने कहा धारा 370 समाप्त करने के लिए 1953 का आन्दोलन ऐतिहासिक था। डा० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान हुआ और बहुत से सत्याग्रही मारे गये थे। अच्छा होता यदि धारा 370 के समाप्त करने के लिए हुए उस ऐतिहासिक संघर्ष को भी आज याद कर लिया जाता। उस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आन्दोलन को आज के नेता व जनता भूल न जाये। इसलिए उस समय का एक सत्याग्रही मैं देश को याद दिलाने की कोशिश कर रहा हूं।

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