Editorial Mahendra Nath sofat: *सबकी_नजर_विक्रमादित्य_पर*
3 मार्च 2024- (#सबकी_नजर_विक्रमादित्य_पर)–
हिमाचल मे सत्तारूढ़ दल मे असन्तुष्टो का भी एक इतिहास है। डा वाई एस परमार से लेकर सुखविंदर सिंह सुख्खू तक सबको असन्तुष्टो का सामना करना पड़ा है। असन्तुष्ट किसी के सामने प्रत्यक्ष तौर पर खड़े हुए तो किसी को अप्रत्यक्ष तौर पर तंग करते रहे है। यह हिमाचल की राजनीति की लम्बी और दिलचस्प कहानी है जिसे कभी पाठकों के साथ सांझा करने का प्रयास जरूर करूंगा। खैर राजनीति मे तीन लोगो की खूब चर्चा होती है सदन के नेता मुख्यमंत्री की, सदन मे विरोध पक्ष के नेता की और सत्तारूढ दल के असन्तुष्ट गुट के नेता की। हिमाचल मे आज के परिपेक्ष मे विक्रमादित्य असन्तुष्ट गुट के नेता की भूमिका मे नजर आ रहे है। आप प्रदेश के वरिष्ठतम नेता वीरभद्र सिंह जी के सपुत्र और वर्तमान मे हिमाचल के लोक निर्माण मंत्री है। आप ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे रखा है जिसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि आपकी माता प्रतिभा सिंह कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्षा और मंडी से सांसद है। हालांकि अभी आप त्यागपत्र स्वीकार करने का दबाव नहीं बना रहे है, लेकिन आपकी गतिविधियां आपको असन्तुष्टो की केटेगिरी मे ला खड़ा कर रही है। आपने सोशल मीडिया से अपना मंत्री और कांग्रेस नेता का परिचय हटा दिया है। आपने पंचकुला मे 6 बागियों से मुलाकात की है। मीडिया रिपोर्ट मे बताया जा रहा है कि आप देश के गृह मंत्री और कथित ऑपरेशन लोटस के सुप्रीमो अमित शाह से मिलने के लिए तत्पर है। सोशल नेटवर्किंग पर खबर आ रही है कि आप और श्रीमती प्रतिभा सिंह भाजपा मे अपना राजनैतिक भविष्य देख रहे है। आपने इन खबरों का पुरजोर शब्दों के साथ खण्डन नहीं किया है।
विक्रमादित्य हिमाचल की राजनीति के उभरते सितारे है। वह अपनी युवावस्था के इस पड़ाव में शालीन व्यवहार कर रहे है, लेकिन मै कहना चाहता हूँ असन्तुष्ट गुट के नेता का काम बहुत ही जोखिम भरा है।मेरे विचार मे यदि उन्होने यह काम करने और सुख्खू सरकार को धराशाई करने का निर्णय कर ही लिया है तो उनके पास विकल्प बहुत सीमित है। पहला कि उन्हे दो-तिहाई कांग्रेस विधायकों से बगावत करवानी होगी और कांग्रेस विधायक दल का वैधानिक विभाजन करवा कर सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाना होगा। वर्तमान परिस्थितियों मे मेरी अनुभवी दृष्टि को इसकी संभावना दिखाई नहीं दे रही है। दुसरा उन्हे अपने दो बफादार विधायकों मोहन लाल और नंदलाल के साथ स्वयं विधान सभा से त्यागपत्र देकर 6 बागी विधायकों के साथ उपचुनाव लड़ना होगा और भाजपा का हिस्सा बन बहुमत जुटाना होगा। यह हिम्मत का काम है, लेकिन आप के दोनो साथी कितने कदम आपके साथ चलेगें इस पर भी संशय है। अगर 9 उपचुनाव हिमाचल मे होते है और आप सब असन्तुष्ट भाजपा के टिकट पर जीत हासिल करते है तो गणित निर्दलीयों सहित 37 होता है। इस प्रक्रिया से गुजर कर ही कथित ऑपरेशन लोटस सफल हो सकता है।
#आज_इतना_ही।