*Editorial:Mahendra Nath Sofat Ex Minister Himachal Pradesh*देश_का_संघीय_ढांचा_खतरे_मे*


7 मार्च 2024-(#देश_का_संघीय_ढांचा_खतरे_मे)–

हमारे देश मे संघीय प्रणाली का लोकतंत्र है। केन्द्र और प्रदेशों मे संविधान द्वारा उनके कार्य और शाक्तियों का विभाजन किया गया है। कुछ बातें संविधान मे वर्णित है तो कुछ परम्पराओं के द्वारा संचालित की जाती है। दोनो के अधिकार क्षेत्र की लक्ष्मण रेखा रेखांकित है। अभी तक उस लक्ष्मण रेखा की अवहेलना न करने की परम्परा थी। अब अक्सर प्रदेश केन्द्र पर अतिक्रमण का आरोप लगाते है तो प्रदेश सरकारें भी अपने को प्रभुसत्ता संपन्न मानने लगी है। पश्चिम बंगाल की सरकार और उसकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बात- बात पर केन्द्र सरकार से टकराने की बात करती है और केन्द्र सरकार के प्रति उनका रवैया हमेशा धमकाने वाला होता है। वह केन्द्रीय संस्थाओ, केन्द्रीय जांच एजंसीयों को मान्यता देने और उनके साथ सहयोग करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। इसी प्रकार तमिलनाडु की सरकार भी भारत की प्रभुसत्ता को स्वीकार करने मे कंजूसी दिखाती है। अभी उनके नेता ए राजा ने यहां तक कह दिया कि भारत एक देश नहीं है। देश मे तो एक भाषा और एक संस्कृति होनी चाहिए। यह तो एक महाद्वीप है। खैर पश्चिम बंगाल ने देश की सवैधांनिक संस्थाओं और केन्द्र सरकार की नाफरमानी शुरू कर दी है। केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि राज्यपाल के साथ तो वह छत्तीस का आंकडा रखती ही है, अब उनकी सरकार की पुलिस हाईकोर्ट के आदेशों की भी पालना नहीं कर रही है।
स्मरण रहे संदेशखाली कांड के खलनायक शाहजहां शेख जो कि भूमि हथियाने और यौन शोषण के आरोपों से आरोपित है, उसका केस हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश देते हुए टिप्पणी की है कि पश्चिम बंगाल पुलिस का रवैया पक्षपातपूर्ण है जबकि सारे मामले मे निष्पक्ष और ईमानदार जांच की जरूरत है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि शेख को मंगलवार 4:30 बजे तक सीबीआई को हैंडओवर कर दिया जाए, लेकिन सीबीआई को दो घंटे के इतंजार के बाद खाली हाथ लौटना पड़ा। अधिकारियों द्वारा इस प्रकार कोर्ट के आदेशों की अवहेलना निश्चित तौर पर सत्तारूढ दल के इशारे पर हुई है। इससे पहले भी केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी को वहां जांच करने से रोका गया था। इसके अतिरिक्त वहां पर सरकार द्वारा प्रायोजित हिंसा करवाने और एक समुदाय विशेष को खुश करने और दूसरे समुदाय को टार्गेट करने के आरोप लगते रहे है। मेरी समझ मे क्षेत्रीय दलों की इस प्रकार की मानसिकता और कार्यप्रणाली देश हित मे नहीं है। उनके इस प्रकार के कार्यकलापो से उनकी खुदमुख्तारी की घोषणा की आवाज सुनवाई देती है। मेरे विचार मे केन्द्र सरकार को इसका तुरंत नोटिस लेकर इनके खिलाफ कानून के अनुसार सख्त और त्वरित कार्यवाई करनी चाहिए और यह सन्देश देना चाहिए कि भारत की प्रभुसत्ता और राष्ट्र हित सर्वोपरी है।
#आज_इतना_ही।
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