पाठकों के लेख:-बसंत जीवन के उत्साह का नाम है बसंत- बसंत पंचमी पर विशेष लेख (5 फरवरी2022 )
जीवन के उत्साह का नाम है बसंत- बसंत पंचमी पर विशेष लेख (5 फरवरी ) लेखक प्रत्यूष शर्मा हमीरपुर
हमारे देश में ऋतुओं को छह भागों में बांटा गया है और उनमें वसंत का सर्वाधिक महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण गीता जी में कहते हैं कि ‘ऋतुनां कुसुमाकर:’, अर्थात ऋतुओं में वसंत मैं हूं। बसंत को ऋतुराज भी कहा जाता है। बसंत के आने से प्रकृति हमारे मन एवं शरीर को शीतलता औऱ आनंद प्रदान करती है, शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, शीत ऋतु की जकड़न से मुक्त हुए शरीर को एक नई अनुभूति होती है, ठीक वैसे ही हमें भी अपने जीवन में इसी प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन हेतु सदैव तत्पर रहना चाहिए।
इस ऋतु के आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है और प्रकृति के इस स्वरूप को देखकर सारे जीव उल्लास से भर जाते हैं। सुहाना समय चारों ओर सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प, मंद-मंद बहने वाली पवन, फलों के वृक्षों पर सुगंध, जल से भरे सरोवर, आम के वृक्षों पर कोयल की कूक, ये सब हमारे जीवन में उत्साह भर देते हैं।
वसंत जीवन के उत्साह का नाम है और इसी दिन से प्रकृति एक नई करवट लेती है और जीवन सुखदायी हो जाता है।
वैसे तो माघ मास का पूरा ही महीना ही उत्साह का संचार करने वाला है लेकिन फिर भी माघ शुक्ल की पंचमी यानी वसंत पंचमी विशेष महत्व रखती है। माघ मास को यज्ञ, दान तथा तप आदि की दृष्टि से बड़ा ही पुण्य फलदायी माना जाता है।
बसंत पंचमी बदलते मौसम का एहसास ही नहीं बल्कि हमारे जीवन में नवस्फूर्ति, उमंग, स्नेह एवं आनंद का अनुभव भी कराती है। इसके साथ ही संदेश भी देती है कि दु:ख के बाद सुख का आगमन भी होता है।
वसंत के आगमन पर सूर्य से लेकर प्रकृति तक हमें पुराने विचार औऱ पूर्वाग्रह का परित्याग कर अपने सारे क्रियाकलापों में नवीनता समाहित करने की प्रेरणा देती है।
जीवन में किसी भी प्रकार की नई शुरुआत के लिए वसंत पंचमी श्रेष्ठ मुहूर्त है। वसंत-पंचमी ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का महोत्सव है, जो यह संदेश देती है कि हम अपने परिवेश को हर दिन नए दृष्टिकोण, नए प्रयोग औऱ काव्यात्मक अभिव्यक्ति से रुचिपूर्ण बनाना चाहिए। हर व्यक्ति में कोई न कोई खास गुण जरूर होता है। बस जरूरत होती है उस गुण को पहचानने की। हमारे पास व्यक्ति की बुराई करने की बजाय उसकी अच्छाई को पहचानने की समझ होनी चाहिए उसकी कुशलताओं को समझने का विवेक होना चाहिए।
असल में, प्रकृति का प्रत्येक आयाम तमाम विरोधाभासों में हमें सकारात्मक जीवन जीने का बेजोड़ तरीका सिखाता है। उदाहरण के तौर पर जिस तरह गुलाब का फूल कांटों से घिरा होने के बावजूद मुस्कराता हुआ अपने पर्यावरण को आकर्षक व खुशबूदार बनाए रखता है, ठीक इसी प्रकार हमें भी प्रतिकूल परिस्थितियों में अपनी विनम्रता, करुणा औऱ सहनशीलता को बरकरार रखते हुए अपने परिवेश में शांति, सौहार्द और सहिष्णुता की सुगंध फैलाने का भरपूर प्रयास करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति के गुणों की सुगंध सभी दिशाओं में फैल जाती है। जिस तरह फलदार वृक्ष पत्थर की चोट सहन करके भी हमें मीठे फल देता है,ठीक उसी तरह हमें भी धैर्य और सहनशक्ति रखते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए औऱ मेहनत से अपनी जिंदगी में नए नए मुक़ाम हासिल करते रहना चाहिए।
विद्या की देवी मां सरस्वती का स्वरूप बहुत ही प्रेरणादायक है।
मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस होने से इस दिन सरस्वती जयंती, श्रीपंचमी आदि पर्व भी होते हैं। देवी भागवत में उल्लेख है कि माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द व शक्ति की प्राप्ति जीव को हुई थी।मां सरस्वती को प्रकृति की देवी की उपाधि भी प्राप्त है।
पद्मपुराण में मां सरस्वती का रूप प्रेरणादायी है। धर्मशास्त्रों के अनुसार मां सरस्वती का वाहन सफेद हंस है। यही कारण है कि देवी सरस्वती को हंसवाहिनी भी कहा जाता है। देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं।
देवी का वाहन हंस यही संदेश देता है कि मां सरस्वती की कृपा उसे ही प्राप्त होती है जो हंस के समान विवेक धारण करने वाला होता है। केवल हंस में ही ऐसा विवेक होता है कि वह दूध और पानी को अलग-अलग कर सकता है। हंस दूध ग्रहण कर लेता है और पानी छोड़ देता है। इसी तरह हमें भी बुरी सोच को छोड़कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए।
सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है। यह रंग शिक्षा देता है कि अच्छी विद्या और अच्छे संस्कारों के लिए आवश्यक है कि आपका मन शांत और पवित्र है। सभी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। मेहनत के साथ ही माता सरस्वती की कृपा भी उतनी आवश्यक है। यदि आपका मन शांत और पवित्र नहीं होगा तो देवी की कृपा प्राप्त नहीं होगी और न ही पढ़ाई में सफलता मिलेगी। मां सरस्वती हमेशा सफेद वस्त्रों में होती हैं। इसके दो संकेत हैं पहला ये कि हमारा ज्ञान निर्मल हो, विकृत न हो। जो भी ज्ञान अर्जित करें वह सकारात्मक हो। दूसरा संकेत हमारे चरित्र को लेकर है। कोई दुर्गुण हमारे चरित्र में न हो। वह एकदम साफ हो।
मां ने शुभ्रवस्त्र धारण किए हैं, ये शुभ्रवस्त्र हमें प्रेरणा देते हैं कि हमें अपने भीतर सत्य, अहिंसा, क्षमा, सहनशीलता, करुणा, प्रेम व परोपकार आदि सद्गुणों को बढ़ाना चाहिए और क्रोध, मोह, लोभ, मद, अहंकार आदि का परित्याग करना चाहिए।
मां सरस्वती के चार हाथ हैं जिनमें वीणा, पुस्तकमाला और अक्षरमाला है। दो हाथों में वीणा ललित कला में प्रवीण होने की प्रेरणा देती है। जिस प्रकार वीणा के सभी तारों में सामंजस्य होने से मधुर संगीत निकलता है वैसे ही हमें अपने जीवन में मन व बुद्घि का सही तालमेल रखना चाहिए।
मां सरस्वती के एक हाथ में पुस्तक, ये संदेश देती है कि हमारा लगाव पुस्तकों के प्रति औऱ साहित्य के प्रति होना चाहिए। विद्यार्थी कभी पुस्तकों से अलग न हों, भौतिक रूप से भले ही कभी किताबों से दूर रहें, लेकिन हमेशा मानसिक रूप से किताबों के साथ रहें। मां सरस्वती के एक हाथ में माला है, जो यह बताती है कि हमें हमेशा चिंतन में रहना चाहिए, जो ज्ञान अर्जित कर रहे हैं, उसका लगातार मनन करते रहें, इससे हमारी सदबुद्धि बनी रहेगी। मां सरस्वती के
दो हाथों से वीणा का वादन, यह संकेत करता है कि विद्यार्थी जीवन में ही संगीत जैसी ललित कलाओं प्रति भी हमारी रुचि होनी चाहिए। मां के चित्र में देवी सरस्वती नदी किनारे एकांत में बैठी हुई दिखाई देती हैं, यह बात संकेत देती है कि विद्यार्जन के लिए एकांत भी आवश्यक है। विद्यार्थियों को थोड़ा समय एकांत में भी बिताना चाहिए।
मां सरस्वती के पीछे सूरज भी उगता दिखाई देता है, यह बताता है कि पढ़ाई के लिए सुबह का समय ही श्रेष्ठ होता है। मां सरस्वती के सामने दो हंस हैं, जो बुद्धि के प्रतीक हैं, औऱ ये संदेश देते हैं कि हमारी बुद्धि रचनात्मक और विश्लेषणात्मक दोनों होनी चाहिए।
अंत में मैं यही कहना चाहुंगा कि जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हम सबकी रक्षा करें।
लेखक- प्रत्यूष शर्मा, हमीरपुर
ankupratyush5@gmail.com
Edited by renu sharma sub editor tct