*पाठकों के लेख: लेखक संजीव थापर:-हिमाचल प्रदेश प्रजन्न से 8 माह दूर*
हिमाचल प्रदेश प्रजन्न से 8 माह दूर :
मान्यवर जैसे जैसे हमारे प्रदेश के निर्वाचन नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे अटकलों का बाजार लगना शुरू हो गया है । यद्यपि यह हमारी चौखट से 8 माह की दूरी पर है तथापि कुछ माहिरों ने अपनी दुकानें सजाने का काम प्रारंभ कर दिया है । अभी हाल ही में संपन्न 5 राज्यों के चुनावों की खुमारी उतरी भी नहीं थी कि कुर्सी के दावेदारों के माथे पर ” हिमाचल ” नामक चिंता की लकीर उभर आई है । अब इस लकीर को माथे से ” सर का मुकुट ” कैसे बनाएं यही चिंता का विषय है । इन दावेदारों की घबराहट और चिंता को मैं भी और शायद आप भी बड़ी दिलचस्पी से देख रहे होंगे । मनोभाव तो यही बता रहे हैं कि , सच में , किसी के लिए भी ” कुर्सी ” छोड़ना संभवत विश्व का सबसे मुश्किल कार्य है और किसी को इस पर बैठने का अवसर मिलना सबसे प्रसन्नता का दिन । प्रत्येक राजनीतिक दल के धुरंधरों का एक मात्र लक्ष्य दोस्तो यही ” कुर्सी ” है जिसे पाने के लिए वे कैसे कैसे दाव लगाते हैं , कैसे कैसे षड्यंत्र रचते हैं , कैसी कैसी उठा पटक करते हैं और विशेषकर कैसे निकटतम दोस्त दुश्मन और जानी दुश्मन दोस्त बनते हैं यह सब कुछ आप आने वाले 8 महीनों में देखेंगे और जो कोई भी इस रस्सा कसी के खेल में जीत कर आयेगा और ” कुर्सी ” पर विराजमान होगा वह निसंदेह हीरा होगा हीरा ।