खर्च और निवेश
उमेश बाली tct

खर्च और निवेश
अर्थशास्त्र का एक सिद्धांत है कि एक आदमी का खर्च दूसरे आदमी की आय होती है ।आय पर ही उपभोग और बचत निर्भर होता है ।बचत ही निवेश की तरफ बढ़ती है ।क्योंकि पूंजी निर्माण भी बचत करती है । आय का को भाग व्यक्ति उपभोग पर खर्च करता है वो मांग को प्रभावित करता है मांग पूर्ति को और पूर्ति उत्पादन को ।इस तरह उत्पादन रोजगार को ।अधिक मांग ,अधिक उत्पादन और उत्पादन में वृद्धि रोजगार में वृद्धि करती है ।जब जनता की आय गिरती है तो मांग गिरती है ,उत्पादन गिरता है और रोजगार में कमी आती है ।इस महामारी काल में यही हुआ और जब किसी भी वर्ग की आय में कमी होती है तो वो गुणात्मक प्रभाव नकारत्मक डालना शुरू करता है और दूसरे वर्गो को भी इसकी चपेट में ले लेता है परिणाम बेरोजगारी और बढ़ती है । इसी तरह जब आय में वृद्धि होती है तो गुणात्मक प्रभाव सकारत्मक प्रभाव डाल कर पूर्ण रोजगार की स्थिति की और बढ़ने लगता है ।
जब आय में कमी होती है तो मांग को स्थिर रखने के लिए सरकारी खर्च में बढ़ोतरी आवश्यक होती है , सरकार ढांचागत विकास में या नकद सहायता से जैसे पेंशन ,बेरोजगारी भत्ता या लोगो को कुछ नकद पैसा दे कर उपभोग को स्थिर रखने की कोशिश करती है ।यह आय ही है जो उपभोग के द्वारा भी और बचत के द्वारा भी रोजगार में वृद्धि करती है। आय का स्तर अधिक होगा तो बचत होगी और बचत ही निवेश की ओर बढ़ती है ।जितनी अधिक बचत होगी उतना ही निवेश भी अधिक होगा ।
ऐसे में कुछ लोग भिन्न भिन्न सरकारों के एडवरटाइजमेंट पर सवाल खड़े करते है ।वास्तव में एडवरटाइजमेंट के भी लाभ जनता को भी होते है और सरकार को भी । जनता को यह पता चलता है कि सरकार क्या क्या योजनाएं चला रही है और दूसरी तरफ पब्लिसिटी के द्वारा जों लोग इस कार्य में लगे होते है उनको रोजगार मिलता है और उनकी आय में वृद्धि होती है जो आगे उत्पादन को सकारात्मक रूप से बढ़ा कर रोजगार को बढ़ावा देती है ।
अब बात आती है बचत जो निवेश में तब्दील होती है ,हमारी छोटी छोटी बचते बैंको को निवेश की और अग्रेसर करती है ।बैंक हमारी बचत को ऋण के रूप में दे कर निवेश में वृद्धि करती है जिससे उद्यमी लोग रोजगार में वृद्धि करते है और स्वयं भी छोटे कारोबार से लेकर बड़े कारोबार तक करते है। जिससे आय में वृद्धि होती है और इस तरह सकारात्मक मल्टीप्लायर का चक्कर चलना शुरू होता है।
वर्तमान युग में जब कल्याणकारी राज्यों की परिकल्पना को साकार रूप देने की कोशिश हो रही है तो सरकारों के पास निवेश के कम साधन होने के कारण सरकारें निजी क्षेत्र कि ओर बढ़ रही है इसीलिए 1992 से लेकर वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री अक्सर अब विदेश के उद्यमियों को भी अपने देश में निवेश करने के लिए आमन्त्रित कर रहे है जिससे देश में उत्पादन और रोजगार बढ़े ।
वर्तमान हालात में सरकार निवेश के लिए प्रयास कर रही है ,कर्ज ले कर सरकार जहां सरकारी ढांचागत विकास में निवेश कर रही है क्यों ढांचागत विकास रोजगार भी उपलब्ध करवाता है और निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए प्रेरित भी करता है।अगर रेल मार्ग , सड़के , हवाई मार्ग आदि ना हो तो उद्योगों की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।हम एक हस्पताल तक भी नहीं बना सकते अगर सड़क मार्ग ना हो । दूसरा उद्योगों और आम जनता के लिए ऊर्जा की जरूरतों को कम दाम में उपलब्ध करवाना । जिसके लिए सरकार अब गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर अधिक बल दे रही है ।
मेरा मानना है कि सरकारें आयेंगी जाएंगी लेकिन देश तरक्की की तरफ कदम बढ़ा चुका है और हम इस महामारी के काल से निकल कर ऊंचाइयों की तरफ बढेंगे ।
उमेश बाली