*गोलोक की महिमा :गोलोक भगवान श्री कृष्ण का निवास स्थान है*


गोलोक भगवान श्री कृष्ण का निवास स्थान है।[1][2] जहाँ पर भगवान कृष्ण अपनी प्रेमिका व आदिशक्ति स्वरूपा श्री राधा रानी संग निवास करते हैं।[3] वैष्णव मत के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ही परंब्रह्म हैं और उनका निवास स्थान गोलोक धाम है, जोकि नित्य है, अर्थात सनातन है। इसी लोक को परमधाम कहा गया है। कई भगवद्भक्तों ने इस लोक की परिकल्पना की है। गर्ग संहिता व ब्रह्म संहिता मे इसका बड़ा ही सुंदर वर्णन हुआ है। बैकुंठ लोकों मे ये लोक सर्वश्रेष्ठ है, और इस लोक का स्वामित्व स्वयं भगवान श्री कृष्ण ही करते हैं। इस लोक मे भगवान अन्य गोपियों सहित निवास तो करते ही हैं, साथ ही नित्य रास इत्यादि क्रीड़ाएँ एवं महोत्सव निरंतर होते रहते हैं। इस लोक मे, भगवान कृष्ण तक पहुँचना ही हर मनुष्यात्मा का परंलक्ष्य माना जाता है।
सभी वैकुंठ लोक कमल की पंखुड़ियों के समान हैं और उस कमल का प्रमुख भाग ही गोलोक है। यह सभी वैकुंठों का केंद्र है। इसी प्रकार अपने विभिन्न रूपों मे श्री कृष्ण इन वैकुंठ धामों मे निवास करते हैं। गोलोक को तीन अलग-अलग भागो मे विभाजित किया गया है- गोकुल, मथुरा और द्वारका। जैसा कि ब्रह्म-संहिता (५.४३) में कहा गया है, आध्यात्मिक आकाश के सभी वैकुंठ लोक (विष्णुलोक के रूप में जाने जाते हैं), गोलोक के भगवान श्री कृष्ण से प्रकट होते हैं। इस संस्था से जुड़ने के बाद भगत लोग बहुत आनंद की अनुभूति करते हैं तथा अपने जीवन में अद्भुत सकारात्मक बदलाव देखते हैं इन्ही अनुभव को शेयर कर रही हैं पालमपुर की रीतू सूद,,,
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