धार्मिकविदेश

*” क्या भक्ति वृद्धावस्था के लिए है?”*

क्या भक्ति वृद्धावस्था के लिए है?”

tct
tct

आमतौर पर हम मानते है कि आइए पहले अपने जीवन का आनंद लें, अपने भौतिक संसार के कर्तव्यों का पालन करें और फिर हम भक्ति करेंगे लेकिन सत्य यह है कि भक्ति हमें आंतरिक शांति, आंतरिक शक्ति और दिव्य आनंद प्राप्त करने में मदद करती है। यह हमें समय प्रबंधन और भावनात्मक प्रबंधन में मदद करती है। हमें इन सभी दिव्य गुणों की आवश्यकता केवल बुढ़ापे में ही नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक चरण में होती है। मृत्यु हमारी अंतिम परीक्षा है और इसलिए यह आवश्यक है कि भक्ति हमें जीवन के प्रारंभिक चरण से ही शुरू करनी होगी । इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हम वृद्धावस्था में पहुंच जाएंगे। शास्त्र हमें उदाहरण देते हैं कि भक्त प्रहलाद जी ने 5 वर्ष की आयु में और ध्रुव महाराज जी ने 7 वर्ष की आयु में भक्ति के उच्चतम स्तर को प्राप्त किया था अर्जुन जी को भी कम उम्र मेंआध्यात्मिक ज्ञान मिला और शुकदेवजी महाराज ने 16 साल की उम्र में भागवत महापुराण के रूप में महाराज परीक्षित को भगवद् ज्ञान प्रदान किया।
जहां तक मेरा मानना है भक्ति युवा पीढ़ी के लिए ज्यादा आवश्यक है ।जैसा कि आजकल युवा वर्ग पर रोजगार को लेकर ज्यादा दबाव है जो कुछ बच्चे नहीं ले पाते हैं और डिप्रेशन आदि के शिकार हो जाते हैं या फिर गलत आदतों में पड़ जाते हैं लेकिन भक्ति हमें जीवन की हर परिस्थिति में समभाव में रहना सिखाती है, अच्छे बुरे का ज्ञान करवाती है और छोटी उम्र में बच्चे हर गतिविधि को अच्छे से कर पाते हैं उदाहरणतया तैरना ,अन्य भाषाओं को सीखना ,स्काईडाइविंग , नोका चलाना जबकि बुढ़ापे में यह सब सीखना बहुत मुश्किल हो जाता है इसलिए हमें अपने बच्चों को जितना जल्दी हो सके आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल करना चाहिए जैसे कि भोग लगाना, भगवान को नहलाना ,मंदिर ले जाना, माला जाप करवाना इत्यादि ।अगर गोलोक एक्सप्रेस की ही बात की जाए तो बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जो बहुत छोटी उम्र में भक्ति का परमानंद उठा रहे हैं और अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहे हैं
यह सारे उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि अगर भक्ति छोटी उम्र में शुरू की जाए तो बचपन से ही हमारा भगवान के साथ एक प्यारा सा रिश्ता बन जाएगा । इसलिए जितनी जल्दी हो सके ,उतनी जल्दी हमें भक्ति को अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए ।
यदि आप भक्ति से जुड़ी गलत अवधारणाओं से अवगत होना चाहते हैं तो इस नंबर 7018026821 पर संपर्क करें और अपनी वक्त और सुविधा अनुसार श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन करें और अपने जीवन को सफल बनाएं

प्रिय पाठको अगले लेख में हम यह चर्चा करेंगे कि क्या अच्छे कर्म ही काफी होते हैं ,भक्ति करने की आवश्यकता ही नहीं है

गोलोक एक्सप्रेस में आइए दुख दर्द भूल जाइए एबीसीडी की भक्ति में लीन होकर नित्य आनंद पाइए..

नीचे दिए गए लिंक पर अवश्य क्लिक करें और शांति आनंद और भगवान के चरणों में स्थान पायें।

http://youtu.be/WXJ8PPx-so8

 

Golok Express

Related Articles

7 Comments

  1. Wonderful article… Bhakti gives us inner strength which we need in every sphere of life so for devotion… Earlier is the better
    🙏🙏

  2. Amazing Article!!!
    Really No need to wait for old age. We don”t know we will reach that stage or not.so need to start devotion as soon as possible 😘 Jab jagoo tebi sebera… We are very blessed we are getting divine guidance from golok express. Thankyou 🙏🙏🙏

  3. Amazing divine Article!!!
    Very true.No need to wait for old age. We don”t know we will reach that stage or not. So as soon as possible we should start to do devotion. 😍Jab jago tebi sebera. 🙏we are very blessed to have getting divine guidance fron golok express. Thankyou 🙏🙏🙏hari hari bol

  4. Right said devotion is not for old age it is important for all age group so earlier is better….
    Hari bop🙏🙏

  5. हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button