*राजस्थान_के_मुख्यमंत्री_का_जादू_वहां_के_कांग्रेसी_विधायकों_के_सिर_चढ़कर_बोल_रहा_है*
27 सितंबर 2022- (#राजस्थान_के_मुख्यमंत्री_का_जादू_वहां_के_कांग्रेसी_विधायकों_के_सिर_चढ़कर_बोल_रहा_है) —
अशोक गहलोत जादूगर के नाम से जाने जाते है। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की रेस मे सबसे आगे दौड़ रहे है। उन्हे इस महत्वपूर्ण पद के लिए गांधी परिवार की पहली पंसद माना जा रहा है। वह राजस्थान के कद्दावर नेता है। मीडिया रिपोर्ट का अवलोकन कर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गहलोत राजस्थान का मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ना चाहते। आज भी राजस्थान के कांग्रेसी विधायकों के वह सर्वमान्य नेता है। अधिकांश विधायकों पर जादूगर गहलोत का जादू चलता है। गहलोत ने कोशिश की कि उन्हे भले अध्यक्ष बना दिया जाए लेकिन मुख्यमंत्री भी रहने दिया जाए, लेकिन राहुल गांधी ने उदयपुर चिंतन शिविर का हवाला देते हुए उनकी इस मांग को निरस्त कर दिया है। इसके बाद राजनीति के बड़े खिलाड़ी अशोक गहलोत ने राजस्थान मे खेला कर दिया है।
कांग्रेस के 92 विधायकों ने गहलोत के समर्थन मे विधानसभा के अध्यक्ष को अपने इस्तीफे सौंप दिए है। स्मरण रहे राजस्थान मे कांग्रेस के कुल 108 विधायक है। यह त्यागपत्र बिना गहलोत की सहमति के नहीं दिए गए होगें। आज तक गहलोत ने हमेशा कांग्रेस हाईकमान के आदेशों का पालन किया है, लेकिन पहली बार वह दबाव की राजनीति करते दिखाई दे रहे है। इस खेल के पीछे उनका उद्देश्य साफ नजर आ रहा है कि वह चाहते है कि यदि उनका अध्यक्ष पद के साथ मुख्यमंत्री बने रहना संम्भव नहीं है तो उनकी पसंद का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। कम से कम वह कांग्रेस से यह गारंटी चाहते है कि उनके धुर विरोधी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री कदाचित न बनाया जाए। हालांकि मीडिया रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है कि गहलोत के खेल से कांग्रेस नेतृत्व परेशान भी है और धर्म संकट मे भी है, क्योंकि 2020 मे सचिन के विद्रोह को शांत करने के समय उसे राजनीतिक पुनर्वास का आश्वासन दिया गया था। कांग्रेस नेतृत्व देर-सवेर उस आश्वासन को पूरा करना चाहता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व जादूगर के जादू की क्या काट ढूंढता है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।