पाठकों के लेख एवं विचार

*क्या छुट गया ? लेखक :संजय श्रीवास्तव*

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क्या छुट गया ?

कल से अब तक आत्महत्या की तीन खबरें पढ़ी हैं। एक थे अमित जैन रेडीसन ब्लू कोशांबी के मालिक, दूसरे थे डॉक्टर मनीष सैनी पार्क हॉस्पिटल अलवर के डॉक्टर और तीसरी थी शानदार लेखिका और पत्रकार श्वेता यादव। तीनो अपने क्षेत्र में काफ़ी सफल थे। क्या कारण रहा होगा ? जो होने का सपना भारत की नब्बे प्रतिशत जनता देखती हैं, ये तीनो वो पाकर भी असहाय हो गए।

आज हमारी लड़ाई अर्जुन के कुरुक्षेत्र से कम नहीं है, और हमें बहुत चालाकी से हमारे सबसे बड़े आश्रय धर्म से दूर कर दिया। ओह माई गॉड, पी के जैसी फ़िल्में और तथाकथित बुद्धिजीवियों ने आस्था को अंधविश्वास बताया। हमें हमारे सबसे बड़े मूल से धीरे धीरे दूर कर दिया । और हम कटी पतंग हो गए ।
बुद्ध, महावीर, नानक, कबीर,जीसस ये लोग भी जीवन मे भयंकर से भयंकर संकट का सामना किये कभी घबराए नही फिर सफल होने के बाद समाज को व्यवस्थित और मन पर विजय पाने का मंत्र बताया।

जीवन मे अगर चारों तरफ अंधकार ही अंधकार नजर आए तो कभी घबराना नही अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है आपदा मे ही अविष्कार होता है ईश्वर पर विश्वास और धैर्य रखो समय का इंतजार करो समय बलवान होता है ….

मनुष्य के जीवन मे अगर 99 द्वार बंद रहता है फिर भी ईश्वर एक न एक द्वार इंसान के लिये हमेशा खुला रखता है अपनी उम्मीद और प्रयास को कभी मत छोड़ो संकट के समय आत्मचिंतन करो रामयण पढो , गीता पढ़ो जो इंसान कष्ट से लड़कर विजयी प्राप्त किया है उसे देखो सकरात्मक उर्जा का अपने अंदर प्रवाह करो और भी जो कुछ करना है करो …

लेकिन नकारात्मक उर्जा को बल मत दो आत्महत्या करने का कभी मत सोचो क्यूँकि ईश्वर की कृपा से मानव जीवन तुम्हें मिला है जो बहुत भाग्य से मिलता है जब जीवन मे सारे द्वार बंद नजर आए तो खुले हुए द्वार को खोजो जो खुला है हिम्मत से काम लो आशवान बनो एक आशा और विश्वास उस परमपिता के प्रति तुम्हें जो हर मुसीबत से लड़ने की शक्ति देगी 🙏🙏

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