*सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा)-* *लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
18 दिसंबर 2022- (#सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा)-
श्रृंखला लम्बी हो रही है। जिसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ, लेकिन बात को बीच मे नही छोड़ा जा सकता है। हिमाचल मे भाजपा के दो वरिष्ठतम नेता है। दोनो को पद और आयु के कारण वरिष्ठतम माना जाता है। राजनैतिक विश्लेषको के अनुसार एक को भाजपा को हिमाचल मे बनाने और दुसरे को भाजपा को संभालने के लिए जाना जाता है। एक ने सक्रिया चुनावी राजनीति से सन्यास की घोषणा कर दी है तो दूसरे की अभी राजनैतिक आकांक्षा समाप्त नही हुई है। दोनो प्रदेश के दो दो बार मुख्यमंत्री रह चुके है। राजनिति के लम्बे अंतराल के बाद भी दोनो की हिमाचल की राजनीति मे प्रासंगिकता कायम है। खैर अगर इस बार के चुनावो को लेकर अवलोकन किया जाए और सोशल नेटवर्किंग पर उपलब्ध जानकारी का संज्ञान लिया जाए तो आप इस निष्कर्ष पर पहुंचेगे कि एक वरिष्ठतम नेता मन से चाहते थे कि हिमाचल मे हर पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज बदल जाना चाहिए और ठाकुर जय राम की सरकार को रिपीट करना चाहिए, लेकिन मिडिया की माने या सोशल नेटवर्किंग मे जो जानकारियां उपलब्ध थी उनकी परख करें तो दूसरे वरिष्ठतम नेता के मन से ऐसी आवाज आती सुनाई नही दे रही थी।
इस चुनाव मे दोनो प्रमुख राजनैतिक पार्टियों मे बगावत देखने को मिली, लेकिन भाजपा मे बगावत बडे स्तर पर हुई। डेढ दर्जन से अधिक वागी जिसमे पूर्व विधायक और पूर्व सांसद सरीखे लोग शामिल थे चुनाव मे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर डट गए थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकरएंबुलेंस आदरणीय प्रधानमंत्री जी तक ने उन्हे मनाने का प्रयास किया लेकिन वह डटे रहे और नही हटे। अभी पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर जी ने माना कि यह वागी भी भाजपा की हार का एक बडा कारण है। उन्होने यह भी कहा कि यह पता करना भी जरूरी है कि यह वागी किस के कहने से चुनाव लड रहे थे। मै इस पर कोई टिप्पणी नही कर सकता हूँ। लेकिन यह जरूर है कि इन लोगो को कहा भी बडे आदमी ने होगा और इशरा भी बडे का होगा। शेष यह मामला समीक्षा,जांच और विवेचना पर छोड़ देना चाहिए।
#आज_इतना_ही कल फिर बात को आगे बढ़ाते हुए मिलते है।