*सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा)-* *MN SOFAT*
20 दिसंबर 2022- (#सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा)-
किसी चुनाव को जीतने के लिए एक तय रणनीति पर काम करना होता है। वह तय रणनीति सभी प्रदेश स्तर के नेताओं के ध्यान मे रहनी जरूरी है। चुनाव अभियान शुरू होने से पहले हिमाचल मे माहौल था कि भाजपा सरकार रिपीट करेगी और हिमाचल मे हर पांच साल बाद राज बदलने वाला रिवाज बदल जाएगा। असल मे पजांब चुनाव के बाद और आम आदमी पार्टी की भारी जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने हिमाचल का रुख किया था। पंजाब सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं पंजाब के मुख्यमंत्री अति उत्साह मे थे। वह दोनो हिमाचल के दौरे पर आए और आम आदमी पार्टी को हिमाचल मे तीसरे विकल्प के तौर पर पेश किया। शुरुआत मे भारी संख्या मे लोग भी उनकी तरफ आकर्षित होने लगे। रैलियों मे भीड़ भी दिखने लगी। राजनैतिक विश्लेषकों का मत था कि हिमाचल मे आम आदमी पार्टी की उपस्थिति से कांग्रेस को सीधा नुकसान होगा और भाजपा को सीधा लाभ होगा। भाजपा के रणनीतिकारो के संज्ञान मे भी यह गणित था, लेकिन न जाने क्यों भाजपा के युवा नेता एवं रणनीतिकार जो केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य भी है ने खेला कर दिया।
आप स्मरण करें जब अभी आम आदमी पार्टी हिमाचल मे अपने पैर पसार ही रही थी केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने उनके प्रदेश अध्यक्ष सहित अधिकांश पदाधिकारियों को आप पार्टी से त्यागपत्र दिला भाजपा की सदस्यता दिला दी। ऐसा करके उन्होने खूब वाहवाही लूटी और हाईकमान से भी प्रशंसा पाई। बस यहीं पहली राजनैतिक चूक थी। यहीं से चुनाव ने यू टर्न ले लिया था। आम आदमी पार्टी के पांव उखड़ने शुरू हो गए और वह कमजोर होती चली गई। इसका लाभ कांग्रेस को हुआ और नुकसान भाजपा को हुआ, क्योंकि सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा मे हुई और सत्ता विरोधी सभी मत कांग्रेस को मिले। आप पार्टी चुनाव मे अप्रासंगिक हो गई। यदि आम आदमी पार्टी मुकाबले मे रहती तो सत्ता विरोधी मत आप और कांग्रेस मे विभाजित हो जाते तो भाजपा का रिपीट करना तय था। मेरी समझ मे यह नहीं आ रहा कि अनुराग ठाकुर ने ऐसा क्यों किया। क्या यह खेला था या उनकी नासमझी थी। खैर यह भी समीक्षा,जांच और विवेचना का विषय है।
#आज_इतना_ही कल फिर इसी बात को आगे बढ़ाते हुए मिलते है।