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*भूली बिसरी यादें* भूपेंद्र नेगी lPS*

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*भूली बिसरी यादें*

दोनो तरफ हरे भरे पेड़..
बीच मे
दूर तक जाती कच्ची सड़क..
याद है..
मुझे बरसात के वो दिन.
जब मैं और मेरी तनहाई गुजरती थी वहां से..
काली छतरी पर पड़ती बरसात की बौछारें.
कच्ची गीली सड़क पर ….
बारिश के पानी से भरे गड्ढों पर
ना जाने क्या सूझता..
छपाक से कूदता..
खो जाता किन्ही अनजान ख्यालों मे…
सुकून था उन पलों मे..
मैं चलता जाता.. भीगता जाता..
पर शायद एक अनजाना ख्याल था..
जो इस कच्ची सड़क, बारिश…
और बारिश के गड्ढों
और धीरे से चारो ओर फैलती धुंध ..
मै.. खो जाता.. गुम हो जाता..
आज..
बरसो बाद उन यादों को समेटे..
फिर पहुंचा उस कच्ची सड़क की तलाश मे..
बहुत कुछ बदला बदला था..
पर जो नही बदला वो.. थे
बीते पल और कुछ यादें..
जो फिर से ताजा हो गई..
मैं फिर से यादों के सड़क पर.
ख्यालों मे…. फिर से …
भीगता चला जा रहा था
भीगता चला जा रहा था।

*भूपेंद्र नेगी*। 02.01.2023
HP University Advanced studies ..Avalodge के रास्ते की कुछ यादें…

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