*सरकार_और_सुप्रीम_कोर्ट_मे_जजों_की_नियुक्ति_को_लेकर_टकराव_जारी*
22 जनवरी 2023- (#सरकार_और_सुप्रीम_कोर्ट_मे_जजों_की_नियुक्ति_को_लेकर_टकराव_जारी)-
मीडिया रिपोर्ट जो काॅलेजियम को लेकर छ्प रही है उनका अध्ययन करने से बात समझ मे आती है कि केंद्र सरकार काॅलिजियम सिस्टम को लेकर सहज महसूस नहीं कर रही है। असल मे सरकार ने 2014 मे जजों की नियुक्ति को लेकर जुडिशियल कमीशन बनाने के लिए कानून पारित किया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक आदेशों के द्वारा रद्द कर दिया था।हांलाकि अभी जजों की नियुक्ति काॅलिजियम की सिफारिश से ही हो रही है, लेकिन यह सब कुछ सौहार्दपूर्ण वातावरण के अंतर्गत नहीं हो रहा है। काॅलेजियम और जुडिशियल कमशीन मे से कौन सा सिस्टम उत्तम है यह बहस का विषय है और दोनों के अपने- अपने गुण- दोष है। स्मरण रहे अब सरकार काॅलिजियम मे ही अपना प्रतिनिधि चाहती है।
पिछले कुछ समय से पांच जजों की नियुक्ति को लेकर पेंच फंसा हुआ है। केन्द्र सरकार ने यह नाम आई.बी की रिपोर्ट को आधार बना कर अपनी टिप्पणी के साथ वापिस कर दिए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के काॅलेजियम ने सरकार द्वारा लौटाए गए जजों मे से दो की तीसरी बार और तीन की दूसरी बार सिफारिश की है। इनमे समलैंगिक सौरभ किरपाल और पीएम की आलोचना करने वाले आर जाॅन सत्यम के नामो को भी शामिल किया गया है। इस टकराव को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को भी सहयोग करने को कहा है। काॅलेजियम ने कहा है कि हमारे प्रस्ताव को बार- बार लौटाना सही नहीं है। ऊधर कानून मंत्री ने केन्द्र सरकार की स्वतंत्र न्ययापालिका के प्रति प्रतिबद्घता को दोहराया है। मेरे विचार मे इस मामले का स्थाई हल खोजा जाना चाहिए ताकि जजों की नियुक्ति मे अनावश्यक देरी न हो और आमजन को शीघ्र न्याय मिल सके। मेरी समझ मे स्थाई हल खोजने के लिए दोनो तरफ से जरूरी पहल यह करनी होगी कि जो बातचीत मीडिया के मध्यम से हो रही है वह बंद हो और सीधी बात कर स्थाई समाधान खोज लिया जाए।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।