07 फरवरी 2023- (#हिमाचल_मे_हो_सकते_है_श्रीलंका_जैसे_हालात – #सुख्खू)- कल से आगे-
Tct chief editor
उपरोक्त विषय पर पिछले कल के ब्लॉग पर प्राप्त टिप्पणियों का अवलोकन करने के बाद आज मैं बात को आगे बढ़ा रहा हूँ। कुछ पाठकों ने आर्थिक अनुशासन और मितव्ययता को लेकर शांता कुमार जी के नेतृत्व मे बनी 1990 की भाजपा सरकार को स्मरण किया है। यह बात सही है कि आर्थिक अनुशासन और फिजूल खर्ची को रोकने के लिए वह सरकार हमेशा स्मरण की जाएगी। एक कथन है कि अच्छी बात अपने दुश्मन से भी सीख लेनी चाहिए। मेरी समझ के अनुसार वह हिमाचल की पहली सरकार थी जिसने आत्मनिर्भर हिमाचल का सपना देखा और उसके लिए काम करना शुरू किया था। हांलाकि उस सरकार को अपना कार्यकाल पूरा करने का अवसर नहीं मिला था। उस सरकार को रामजन्मभूमि प्रकरण के चलते तत्कालीन कांग्रेस की केन्द्रीय सरकार ने भंग कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री जी ने अपना पद छोड़ने से पहले 50 करोड़ का ओवर ड्राफ्ट क्लीयर करवा दिया था। उस सरकार ने कठोर आर्थिक अनुशासन का पालन किया था।
स्मरण रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने कभी हैलीकाॅप्टर का प्रयोग नहीं किया था। राजनैतिक सलाहकार और ओ एस डी की नियुक्ति नहीं की गई थी। मुख्यमंत्री जी के साथ गाड़ियों का काफिला चलाने पर संख्त पाबंदी थी। जिला की सीमा पर अधिकारियों को मुख्यमंत्री की अगवानी के लिए नहीं आना होता था। फिजूल खर्च रोकने और नये संसाधन जुटाने के लिए मेरी अध्यक्षता मे एक समिति का गठन किया गया था। उस समिति के अध्यक्ष के तौर पर मुझे कोई मानदेय नहीं दिया जाता था। मुख्यमंत्री जी ने सबसे पहले अपने ऊपर आर्थिक अनुशासन लागू किया था। उसके बाद अफसरों पर फिजूल खर्ची रोकने के आदेश लागू हुए थे। शांता कुमार जी ने पहली बार बिजली पर रायल्टी का मुद्दा केन्द्र सरकार के सामने रखा और उसे पाने मे सफलता प्राप्त की। आज रायल्टी के कारण लगभग तीन हजार करोड़ रूपए की प्रदेश को आय हो रही है। मेरे विचार मे यदि मुख्यमंत्री जी वास्तव मे हिमाचल को आर्थिक संकट मे से निकालने के लिए हिमाचल की जनता का सहयोग चाहते है तो वह यह घोषणा कर दे कि जब तक आर्थिक स्थिति मे सुधार नहीं होता वह सरकारी हैलीकाॅप्टर का प्रयोग नहीं करेगें। मेरी समझ मे इसका जादुई असर होगा और जनता निश्चित तौर पर स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सरकार को सहयोग करेगी।
उधार के घी की चिकनाई से सूखी ही ठीक , बजुर्गों की बातों में बहुत दम होता है ये बात मैं सो फत जी की बात में जोड़ रहा हूं क्योंकि जब तक प्रदेश कर्ज मुक्त नहीं हो जाता या कम से कम कर्ज का बोझ कम न हो सके तो बढ़े भी न , तब तक मुख्यमंत्री सुक्खू जी को भी शांता कुमार जी के अनुभव और कुशल नीति से प्रेरणा लेकर अपने और अपने मंत्रियों और अफसरशाही के खर्चों को किस प्रकार कम किया जाए जरूर विचार करना चाहिए और ये बात सुक्खू जी के लिए ही नहीं आने वाले किसी भी मुख्यमंत्री के लिए अतिआवश्यक है वैसे भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ओ पी एस देने का वायदा किया था जिसकी भूमिका सरकार बनाने में अति महत्वपूर्ण रही और सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू जी ने इसके ऊपर मोहर भी लगा दी है और ये सिलसिला बगैर किसी व्यवधान के बगैर किसी टैक्स बढ़ा कर क्रियान्वित हो तो सुक्खू सरकार की ये उपलब्धि स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ,
उधार के घी की चिकनाई से सूखी ही ठीक , बजुर्गों की बातों में बहुत दम होता है ये बात मैं सो फत जी की बात में जोड़ रहा हूं क्योंकि जब तक प्रदेश कर्ज मुक्त नहीं हो जाता या कम से कम कर्ज का बोझ कम न हो सके तो बढ़े भी न , तब तक मुख्यमंत्री सुक्खू जी को भी शांता कुमार जी के अनुभव और कुशल नीति से प्रेरणा लेकर अपने और अपने मंत्रियों और अफसरशाही के खर्चों को किस प्रकार कम किया जाए जरूर विचार करना चाहिए और ये बात सुक्खू जी के लिए ही नहीं आने वाले किसी भी मुख्यमंत्री के लिए अतिआवश्यक है वैसे भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ओ पी एस देने का वायदा किया था जिसकी भूमिका सरकार बनाने में अति महत्वपूर्ण रही और सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू जी ने इसके ऊपर मोहर भी लगा दी है और ये सिलसिला बगैर किसी व्यवधान के बगैर किसी टैक्स बढ़ा कर क्रियान्वित हो तो सुक्खू सरकार की ये उपलब्धि स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी , सरकार को बचत के बारे में सोचना चाहिए और खर्चों में कमी करनी चाहिए
उधार के घी की चिकनाई से सूखी ही ठीक , बजुर्गों की बातों में बहुत दम होता है ये बात मैं सो फत जी की बात में जोड़ रहा हूं क्योंकि जब तक प्रदेश कर्ज मुक्त नहीं हो जाता या कम से कम कर्ज का बोझ कम न हो सके तो बढ़े भी न , तब तक मुख्यमंत्री सुक्खू जी को भी शांता कुमार जी के अनुभव और कुशल नीति से प्रेरणा लेकर अपने और अपने मंत्रियों और अफसरशाही के खर्चों को किस प्रकार कम किया जाए जरूर विचार करना चाहिए और ये बात सुक्खू जी के लिए ही नहीं आने वाले किसी भी मुख्यमंत्री के लिए अतिआवश्यक है वैसे भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ओ पी एस देने का वायदा किया था जिसकी भूमिका सरकार बनाने में अति महत्वपूर्ण रही और सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू जी ने इसके ऊपर मोहर भी लगा दी है और ये सिलसिला बगैर किसी व्यवधान के बगैर किसी टैक्स बढ़ा कर क्रियान्वित हो तो सुक्खू सरकार की ये उपलब्धि स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ,
उधार के घी की चिकनाई से सूखी ही ठीक , बजुर्गों की बातों में बहुत दम होता है ये बात मैं सो फत जी की बात में जोड़ रहा हूं क्योंकि जब तक प्रदेश कर्ज मुक्त नहीं हो जाता या कम से कम कर्ज का बोझ कम न हो सके तो बढ़े भी न , तब तक मुख्यमंत्री सुक्खू जी को भी शांता कुमार जी के अनुभव और कुशल नीति से प्रेरणा लेकर अपने और अपने मंत्रियों और अफसरशाही के खर्चों को किस प्रकार कम किया जाए जरूर विचार करना चाहिए और ये बात सुक्खू जी के लिए ही नहीं आने वाले किसी भी मुख्यमंत्री के लिए अतिआवश्यक है वैसे भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ओ पी एस देने का वायदा किया था जिसकी भूमिका सरकार बनाने में अति महत्वपूर्ण रही और सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू जी ने इसके ऊपर मोहर भी लगा दी है और ये सिलसिला बगैर किसी व्यवधान के बगैर किसी टैक्स बढ़ा कर क्रियान्वित हो तो सुक्खू सरकार की ये उपलब्धि स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी , सरकार को बचत के बारे में सोचना चाहिए और खर्चों में कमी करनी चाहिए