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*हिमाचल प्रदेश की साध-संगत ने धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया डेरा सच्चा सौदा का रूहानी स्थापना माह*

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हिमाचल प्रदेश की साध-संगत ने धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया डेरा सच्चा सौदा का रूहानी स्थापना माह

– जननी सत्कार मुहिम के तहत 29 गर्भवती महिलाओं को दिया पौष्टिक आहार और पक्षी उद्धार मुहिम के तहत बांटे 175 मिट्टी के सकोरे

— साध-संगत के अटूट प्रेम के आगे सभी इंतजामात पड़ गए कम

— लक्ष्य को हासिल करने के लिए न ले पाप-गुनाहों का सहारा: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

चचियानगरी। हिमाचल प्रदेश की साध-संगत ने रविवार को परम पिता शाह सतनाम जी सचखंड धाम चचियानगरी, पालमपुर (कांगड़ा) में डेरा सच्चा सौदा का रूहानी स्थापना माह का शुभ भंडारा राम-नाम का गुणगान गाकर और मानवता भलाई के कार्य करके मनाया। पावन भंडारे की खुशी में आयोजित विशाल रूहानी नामचर्चा में प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी तादाद में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने भाग लिया तथा नामचर्चा में भारी तादाद में पहुंची साध-संगत के आगे प्रबंधन द्वारा किए गए सभी इंतजामात कम पड़ गए। नामचर्चा के दौरान डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए किए जा रहे 156 मानवता भलाई कार्यों को गति देते हुए जननी सत्कार मुहिम के तहत 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार की किटें बांटी गई। वहीं पक्षी उद्धार मुहिम के तहत 175 मिट्टी के सकोरे बांटे गए। जिन्हें साध-संगत सड़क किनारे पेड़ों, अपने घरों, प्रतिष्ठानों पर
रखेंगे। ताकि पक्षी को गर्मी के मौसम में अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर न भटकना न पड़े।  
                     रूहानी स्थापना माह के भंडारे की खुशी में आयोजित विशाल नामचर्चा की शुरूआत 11 बजे धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा बोलकर की गई। बाद में कविराजों ने शब्दवाणी के माध्यम गुरुगुणगान किया। इसके पश्चात पंडाल में लगाई गई बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनों पर पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को चलाया गया। जिसे साध-संगत ने एक मन एक चित्त होकर श्रवण किया। इससे पूर्व सभी साध-संगत ने धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर पूज्य गुरु जी को रूहानी स्थापना माह के शुभ भंडारे की बधाई दी।  
                   पूज्य गुरु जी ने उपस्थित साध-संगत को संबोधित करते हुए फरमाया कि हर इंसान की टेंशन अलग-अलग तरह की होती है। छोटा जो बच्चा होता है इसको शुरू में टेंशन होती है मां के दूध की, बड़ा हो गया तो टेंशन होती है खिलौना, कपड़े। मां-बाप बच्चों को कह देते है कि पढ़ाई में इतने नंबर लेने है। जिससे उनकी एक और टेंशन भी बढ़ जाती है। हालांकि मां-बाप का यह फर्ज है कि वह ये सब बाते बच्चों को जरूर कहें। लेकिन बच्चों की हिम्मत होनी चाहिए कि वह मां-बाप के उस फर्ज को अदा करके दिखाए। बल्कि उससे भी आगे निकलकर दिखाए। लेकिन इसमें टेंशन नहीं लेनी चाहिए। मगर इंसान जैसे जैसे बड़ा होता जाता है उसकी टेंशने भी धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती है। स्कूल से कॉलेज, यूनिवर्सिटी जैसे-जैसे आप बढ़ते गए आगे टेंशने भी बढ़ती गई। टेंशन बढ़ने से बॉडी को कंट्रोल करना मुश्किल होता चला जाता है। फिर काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मन और माया किसी ने किसी रूप में फन उठाने लगते है। लेकिन जिसने अपना ऐम बना लिया हो, लक्ष्य बना लिया हो कि मैने इसको हासिल करके ही छोड़ना है। वाक्य ही जिंदगी में कोई मकसद, उद्देश्य तो इंसान का जरूर होना चाहिए। क्योंकि उसके बिना जिंदगी अधूरी है।  पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि हर किसी का जिंदगी जीने का मकसद और उद्देश्य जरूर होता है। उसको अचीव करना, उस तक पहुंचना है, लेकिन उस तक पहुंचने के लिए कभी भी इंसान को ऐसे कर्म नहीं करने चाहिए, जिन्हें पाप-गुनाह कहा जाता है। क्योंकि अगर वो कर्म करके आप अपना लक्ष्य अचीव कर भी लेंगे तो आपके माइंड में शांति नहीं रहेगी। अमन चैन आपके अंदर से खो जाएगा तथा बैचेनी का आलम हो जाएगा। हालांकि पैसा आप कमा लेंगे, लेकिन आत्मिक शांति, चैन व तंदुरुस्ती गवा दंगे। इसलिए अपने बारे में सिर्फ ये सोचो कि आपने एक निशाना बनाया है, उसको पूरा करना है। हर किसी के अपने-अपने निशाने होते है। बच्चों में कोई टीचर ही बनना चाहेगा, कोई डॉक्टर ही बनना चाहेगा, इसी तरह कोई इंजीनियर, लेक्चरर, साइंटिस्ट बनना चाहेगा, वो उनका ऐम बनाके चले तो ज्यादा बेहतर है। जनरल नॉलेज उसी चीज का ज्यादा रखे तो ज्यादा बेहतर है।
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नामचर्चा में पहुंची साध-संगत के लिए लंगर-भोजन सहित तमाम प्रबंध किए गए थे। इसके अलावा श्रद्धालुओं के पीने के पानी का विशेष व्यवस्था की गई। नामचर्चा की समाप्ति पर कुछ ही मिनटों में सारी साध-संगत को लंगर-भोजन छकाया गया। इसके अलावा नामचर्चा में पहुंची साध-संगत का अनुशासन काबिले तारीफ रहा। वहीं आई हुई साध-संगत के वाहनों के लिए पार्किंग की अच्छी व्यवस्था की गई थी।  
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नामचर्चा के दौरान कविराजों ने सतगुरु प्रेम तेरा पा के…,  ये लॉकेट इन्सां का गले में लटकाए रखों, मुर्शिद की निशानी है सीने से लगाए रखों…, प्रेम का मस्त प्याला,पिवै कोई भागों वाला…,  मानस जन्म का लाभ उठाना, नाम ध्याना, भूल ना जाना…, पल-पल नाम ध्याए जी… सहित अनेक सुंदर भक्तिमय शब्द वाणी के माध्यम से समा बांधा।

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