Editorial

*Editorial:-‘राजनैतिक_पार्टियों_को_न_देश_की_चिंता_है_और_न_समाज_की’:- महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार

1 Tct
Tct chief editor

28 अप्रैल 2023- (#राजनैतिक_पार्टियों_को_न_देश_की_चिंता_है_और_न_समाज_की)-

सभी राजनैतिक पार्टियों का वोट पाने के लिए एक जैसा चरित्र है। यदि आप भारत की राजनीति का अवलोकन करते है तो आप को समझ आएगा की विभिन्न राजनैतिक दलों ने वोट पाने के लिए धर्म,जाति, लिंग और क्षेत्रीय नारों को उछाल कर वोट के लिए भुनाया है। भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे ने पार्टी की अलग पहचान बनाई है और इस मुद्दे के चलते समाज के बड़े भाग मे भाजपा का आधार और समर्थन बढ़ा है। दो सांसदो वाली पार्टी की आज केन्द्र मे सरकार है और अधिकांश राज्यों मे भी भाजपा सत्तारूढ़ है। खैर राम मंदिर के मुद्दे ने भाजपा के लिए राजनैतिक जमीन तैयार करने मे बड़ी भूमिका अदा की है यह बात सभी राजनैतिक विश्लेषक स्वीकार करते है लेकिन यह सच्चाई है कि भाजपा ने 1989 मे हिमाचल के पालमपुर मे एक प्रस्ताव पारित कर औपचारिक तौर पर राममंदिर मुद्दे को अपने कोर ऐजंडे मे शामिल कर राममंदिर आन्दोलन मे सक्रिय योगदान दिया था। अब सभी गैर भाजपा दल सकते मे है और वह भाजपा के इस मुद्दे की काट खोजने मे लगे है। मेरी समझ के अनुसार गैर भाजपा दल हिंदुत्व के मुद्दे के मुकाबले जातिवाद का कार्ड चलाने की योजना बना रहे है। पहले तो यह कार्ड केवल नितीश और तेजस्वी जैसे क्षेत्रीय नेता जिनका राजनैतिक आधार ही एक जाति विशेष है चला रहे थे और उन्हे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा था, लेकिन प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक के अनुसार लगभग तीन दशक पूर्व जातिवाद के जिस जिन्न को हमारे राजनेताओ ने छोड़ दिया था, वह कर्नाटक के चुनावो मे पुन: अपने जहरीले फन फड़ फड़ा रहा है।

कर्नाटक के बाद 2024 के लोकसभा के चुनाव भी सामने है और इसलिए अब देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस भी जदयू, राजद ,द्रमुक, राकांपा और सपा जैसी छोटी पार्टियां और जिनमे अधिकांश जाति आधारित राजनीति करती है के साथ मिल कर जाति आधारित जनगणना की मांग करने लगी है। स्मरण रहे इससे पहले इस प्रकार की गणना अंग्रेज़ी हुकूमत ने 1931 मे करवाई थी और अंग्रेजों की जरूर यह मंशा रही होगी कि देश का हिन्दू समाज विभाजित रहे और हमारा राज कायम रहे। अब कांग्रेस और अन्य पार्टियां वही खेल खेलने का प्रयास कर रही है। भले वह यह सब अपने राजनैतिक लाभ के लिए यह मांग कर रहे है लेकिन मेरे विचार मे जातिवाद का जहरीला नाग समाज की एकता को डस कर विभाजित कर देगा। इस प्रकार की जनगणना से जाति भावना उत्तेजित होगी और मानव विचार लुप्त होगा। सभी जातियां अपनी संख्या के आधार पर आरक्षण की मांग करेंगी। अभी कर्नाटक के चुनाव ने राहुल गांधी ने अधिकतम 50% आरक्षण की शर्त को खत्म करने की मांग कर आग मे घी डालने का काम किया है। मेरी समझ मे यदि यह राजनैतिक दल जातीय भावना को भड़काना जारी रखते है तो फिर वह दिन दूर नही जब विभाजनकारी जातीय समीकरण भारतीय राजनिति मे वर्चस्व बनाएंगे। यदि इसे नही रोका गया तो यह उल्टा पड़ सकता है और लोकतंत्र को खतरा पैदा कर सकता है।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button