पाठकों के लेख एवं विचार

*हर मज़ाक अच्छा लगता है। विनोद वत्स*

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हर मज़ाक अच्छा लगता है।

आज फिर हमारे सामने
हमारा अच्छे तरीके से
मज़ाक उड़ाया गया।
प्रशंसा के साथ
खूब ऊपर तक उठाया गया
जहाँ से कोई वापिस नही आता
वहा हमे प्रशंसा के साथ पहुंचाया गया।
चलिये ये उसमें खुश हम उसमें खुश।
चलिए
एक दिन तो सबको जाना है
नंबर उसी का आयेगा
जिसका उस घर से बुलावा आना है
कुछ भी कहो
यार हमारे हैं जिंदा दिल
कोई बच जाये उनके शब्दो से
ये हैं नामुमकिन।
मैं भी जानता हूँ
नही उनके दिलों में कोई मैल
इसलिये मैं भी रहता हूँ
उनके गैल।
सब अपने अपने
दुखों से है परेशां।
फिर भी सबको रहती है
साथ चाय पीने की चाह
उस बहाने हंसी किलोल कर लेते है
इशारों इशारों में खेल कर लेते है
दोस्त है अच्छा लगता है
उनका हर मज़ाक अच्छा लगता है।

विनोद वत्स

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