*डिजिटल हाजिरी: यूपी में शिक्षा की दिशा या नया संकट?*


**डिजिटल हाजिरी: यूपी में शिक्षा की दिशा या नया संकट?**

उत्तर प्रदेश में सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की हाजिरी को डिजिटल माध्यम से ट्रैक करने का फैसला शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि शिक्षकों की अनुपस्थिति और देरी को रोककर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाया जाए। लेकिन, क्या यह कदम वास्तव में सही दिशा में है या यह एक नया संकट पैदा कर सकता है?
**पक्ष में तर्क**
1. **पारदर्शिता और उत्तरदायित्व**: डिजिटल हाजिरी से शिक्षकों की उपस्थिति को ट्रैक करना आसान हो जाता है। इससे शिक्षा विभाग को वास्तविक समय में जानकारी मिलती है, जिससे अनुशासनहीनता पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
2. **शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार**: जब शिक्षक नियमित और समय पर स्कूल में उपस्थित रहेंगे, तो छात्रों को निरंतर और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सकेगी। इससे छात्रों की उपस्थिति और प्रदर्शन में सुधार होगा।
3. **भ्रष्टाचार पर नियंत्रण**: डिजिटल हाजिरी से ‘फर्जी उपस्थिति’ और घूसखोरी जैसी समस्याओं पर रोक लगेगी। सिस्टम की पारदर्शिता से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना संभव हो सकेगा।
**विपक्ष में तर्क**
1. **तकनीकी चुनौतियाँ**: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्याएँ हैं। डिजिटल हाजिरी प्रणाली के सही तरीके से काम न करने पर शिक्षकों को अनावश्यक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
2. **व्यावहारिकता का अभाव**: सभी शिक्षकों को तकनीकी ज्ञान नहीं होता। कुछ शिक्षक डिजिटल उपकरणों के उपयोग में कठिनाई महसूस कर सकते हैं, जिससे उनकी हाजिरी प्रभावित हो सकती है।
3. **भरोसे का संकट**: शिक्षकों के प्रति अविश्वास का माहौल बन सकता है। उन्हें ऐसा लग सकता है कि सरकार उन पर नजर रख रही है, जिससे उनका मनोबल प्रभावित हो सकता है।
**निष्कर्ष**
डिजिटल हाजिरी प्रणाली के पक्ष और विपक्ष दोनों में महत्वपूर्ण तर्क हैं। यह आवश्यक है कि सरकार इस कदम को लागू करने से पहले सभी तकनीकी और व्यावहारिक समस्याओं पर विचार करे। एक सशक्त और सुसंगठित प्रणाली के माध्यम से ही डिजिटल हाजिरी का पूरा लाभ उठाया जा सकता है। साथ ही, शिक्षकों को भी इस प्रणाली के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने और तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता है। तभी हम वास्तव में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और एक पारदर्शी, उत्तरदायी शिक्षा प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।