*शिवाजी_महाराज_की_प्रतिमा_के_टूट_कर_गिर_जाने_से_महाराष्ट्र_की_राजनीति_मे_बवाल*


9 सितंबर 2024- (#शिवाजी_महाराज_की_प्रतिमा_के_टूट_कर_गिर_जाने_से_महाराष्ट्र_की_राजनीति_मे_बवाल)–

महान मराठा योद्वा शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा तेज हवाओं के कारण गिर गई। स्मरण रहे शिवाजी महाराज महाराष्ट्र मे मराठा समाज के हीरो है। उनकी छवि एक महानतम योद्वा की है जो गुरिल्ला युद्ध मे अपने कौशल के लिए जाने जाते थे, जिसका उन्होने मुगल सेनाओं के खिलाफ सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था। प्रतिष्ठित दैनिक मे छपे एक लेख मे कहा गया है कि इस साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जल्दबाजी में यह प्रतिमा बनाई गई थी ताकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन कर सकें। मेरी समझ मे ऐसी ही जल्दबाजी राममंदिर निर्माण और नये संसद भवन के निर्माण मे भी देखने को मिली थी। इन दोनो निर्माणो की गुणवत्ता को लेकर भी प्रश्न उठाए जा रहे है। यह बात भी दर्ज करने काबिल है कि राम मंदिर के पूर्ण होने से पहले किए गए उद्घाटन पर कुछ धर्माचार्यो के विरोध के स्वर भी सुनाई दिए थे। इन सभी उद्घाटनो मे हो रही जल्दबाजी को चुनाव के साथ जोड़कर देखा जा रहा था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर करोड़ो रूपए खर्च किए गए है। एक दिलचस्प तथ्य और सामने आया है कि मूल योजना 6 फुट ऊंची मूर्ति बनाने की थी और 6 फुट की प्रतिमा के डिजाइन की जांच की गई थी, लेकिन इसकी ऊंचाई 35 फुट कर दी गई। ऊंचाई किसने और क्यों बढ़ाई इसकी जानकारी मीडिया मे उपलब्ध नहीं है।
काबिलेगौर है कि इस प्रतिमा का निर्माण महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के तटीय शहर मालवन मे किया गया था और 20 अगस्त को राज्य लोक निर्माण विभाग के सहायक इंजिनियर ने इसकी खस्ता हालत की सूचना नौसेना के अधिकारियों को दे दी थी। इस सन्दर्भ मे केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी का ब्यान बहुत महत्वपूर्ण है उन्होने कहा कि मै तीन साल से सरकार को कह रहा हूँ कि तटवर्ती क्षेत्रों मे निर्माण मे जंगरोधी उत्पादो का इस्तेमाल होना चाहिए। उन्होने यह भी कहा कि अगर प्रतिमा के लिए स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया होता तो प्रतिमा नहीं गिरती। खैर प्रतिमा गिर चुकी है और महाराष्ट्र के चुनावी वर्ष मे यह राजनैतिक मुद्दा बन गया है। मेरे विचार मे महाराष्ट्र के लिए विशेषकर मराठा समाज के लिए यह बहुत भावनात्मक और संवेदनशील मामला है। प्रधानमंत्री जी ने इस सच्चाई को समझते हुए मुर्ति गिरने को लेकर तुरंत क्षमायाचना कर आहत भावनाओं को महरम लगाने की कोशिश जरूर की है। बेहतर होगा इस सारे प्रकरण की जांच हो और जिम्मेदारी तय हो। भविष्य मे ऐसा न हो इसके लिए गाइडलाइंस बनाई जाएं। वैसे जल्दबाजी का तो अक्सर मुँह काला होता है और सहज पके सो मीठा हो की कहावत चरितार्थ होती है।
#आज_इतना_ही।
