पाठकों के लेख एवं विचार

*मुस्कुरा दो*:-* लेखक विनोद वत्स*

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( मुस्कुरा दो)

रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
जो हँसते नही उनको हँसा दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
किसी बूढे को रस्ता पार करा दो
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
बिछड़े माँ बाप को बच्चों से मिला दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
किसी भूखे को खाना खिला दो
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
जो उदास है उन्हें मुस्कुरा दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
किसी बहन को भाई से मिला दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
गर्भवती महिला को अपनी जगह दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
कभी बच्चों को कुल्फी खिला दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
रोज माँ बाप को यू ही हँसा दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
कोई भूखा ना सोये ऐसी दुआ दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
किसी दिव्यांग को रस्ता दिखा दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
किसी भूखे को रोटी खिला दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
अपने हिस्से का हिस्सा खिला दो।
रोज एक नेकी करो मुस्कुरा दो।
जो हँसना भूले उनको हँसा दो।

विनोद वत्स की कलम से

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