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*शिक्षा क्षेत्र में बिना तैयारी प्रयोग करना क्या सही हैं?*

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*शिक्षा क्षेत्र में बिना तैयारी प्रयोग करना क्या सही हैं?*

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शिक्षा क्षेत्र में बिना तैयारी प्रयोग करना क्या सही हैं ? आये दिन शिक्षा में नये प्रयोग किए जा रहे हैं।शिक्षा का मूल उद्देश्य विद्यार्थी को चरित्रवान बनाना हैं शिक्षा ही मनुष्य को सम्पूर्ण व्यक्तिव का धनी बनाता हैं।क्या आज के समय यह उचित हैं ,मेरे विचार में नहीं ,शिक्षा द्वारा हम नये और आविष्कारी विचारों का विकास करते हैं।संभावितताओं को पहचानते हैं और संभाबनाओ को बढ़ावा देते हैं ये हमारे सामाजिक ,आर्थिक और व्यक्तिगत स्तर पर विकासकारी संभावनाओं को बढ़ाती हैं।हिमाचल प्रदेश में नई शिक्षा नीति को इस वर्ष लागू किया जा रहा हैं बिना तैयारी किए ,फिर से रुसा सिस्टम की तरह असफल होने का डर ।कोई भी प्रयोग शिक्षा में समाज के लिए हानिकारक होता हैं।काग़ज़ों में पूरी तैयारी हैं नई शिक्षा नीति को लागू करने की,क्या निचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक शिक्षकों को ट्रेनिंग नई शिक्षा नीति की दी गई?पिछले साल इस लिये लागू नहीं किया गया कि तैयारी नहीं हैं।क्या एक साल में शिक्षकों को अब तक ट्रेनिंग दी गई ।रूसा शिक्षा प्रणाली को आनन फ़ानन लागू किया गया था ,उसका क्या हश्र हुआ सब जानते हैं ,आज तक शिक्षार्थी डिग्री नहीं ले सके।टेबल मीटिंग में निर्णय लेने वालो को धरातल की सच्चाई मालूम होनी चाहिए।आने वाली पीढ़ी के भविष्य से ना खेले।अगर नई शिक्षा नीति लागू करनी हैं हैं तो प्राइमरी से शुरू करके आगे बढ़ना चाहिए ना की उच्च स्तर तक।शिक्षा के ज़रिये अब न आचरण आ रहा है,न चरित्र,न मानवीय मूल्य,न नागरिक संस्कार ,न राष्ट्रीय दायित्व एवम् कर्तव्य बोध और ना ही अधिकारों के प्रति चेतना।कृपा करके बिना तैयारी शिक्षा पर प्रयोग बंद होने चाहिए।पढ़ेलिखे इंसान बानने के लिये शिक्षा ना की अनपढ़ स्नातक

।रिटायर्ड प्रोफेसर निवेदिता परमार

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