पाठकों के लेख एवं विचारHimachal

*पाठकों के लेख एवं रचनाएं, लेखक: संजीव गांधी आईपीएस*

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कोई बात नही
यह कह कर
छोड़ दो
ऐसी
हर बात
जो कटु हो
कठिन निर्मम पत्थर की तरह
हो ईर्ष्या से भरी
मिरचीली सी
विषाक्त भाव भरी
जहरीली सी
करती हो
क्रोध वेग को तीव्र
अग्निवेश लिए
दाह करे
देती हो जलन
और पीड़ा
जिसमे छूपे हो
स्वर्णिम
मारीच के छल छ्द्म भरे सपने
विलुप्त करे तर्क बुद्धिप्रकाश
जैसे सूर्य को ग्रहण और
अंधेरे
सीता के
भोले सरल मन को
कपट जाल मे घेरे
धरे भेषज
आसुरी मायाजाल
रक्त विकार
आडम्बरी उद्गार
ऐसी हर बात
को
यही मोड़ दो
कोई बात नही
यह कहकर छोड़ दो

रचनाकार संजीव गांधी IPS

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