पाठकों के लेख एवं विचार

*पाठकों के लेख एवं रचनाएं लेखक:- संजय श्रीवास्तव*

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इक छोटी सी रचना करूं
और तुझको लिख दूं उसमें
कहीं बाहर नहीं,
तू तो रहती है मुझ में।

तेरी मुस्कान पे सब कुछ वार दूं।
तू अगर आये तो जी भर प्यार दूं।
महक तेरी चढ़ी थी सांसो पे,
अब तो दिल में उतर गई है।
तू न दिखे तो पूछे दिल!
वो लड़की किधर गई है।

चुपके से निहारें तेरी ओर,
ये पागल सी निगाहें तो।
पढ़ लेना इन आंखों को,
ये दृश्य तेरा चुरायें तो।

कोई पीछे से फेंके यदि कंकड़,
तो मत कहना कि कौन हो?
समझ लेना मेरा प्रेम तुम,
यदि जिव्हया मेरी मौन हो।

क्या ही लिखूं तुम पर?
क्या ही शब्द कहूं!
लिख कर तुम्हें प्रेयसी!
बस मैं निःशब्द रहूं।
❤️❤️

Sanjay shrivastva

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