*ओ_पी_एस_बहाली_के_लिए_तकनिकी_और_कानूनी_अड़चनो_को_दूर_करना_होगा*
27 नवम्बर 2022- (#ओ_पी_एस_बहाली_के_लिए_तकनिकी_और_कानूनी_अड़चनो_को_दूर_करना_होगा)–
निश्चित तौर पर ओ.पी.एस की बहाली हाल ही मे सम्पन्न चुनाव मे एक बड़ा मुद्दा था। जहां यह एन.पी.एस के कर्मचारियों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा था वही कांग्रेस और गैर भाजपा पार्टियों के लिए यह एक राजनीतिक मुद्दा था जिसे वह चुनावों मे भुनाना चाहते थे। मेरे विचार मे सरकारी नौकरी करने का सबसे बड़ा आकर्षण पैंशन और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले चिकित्सा जैसे भत्ते है। खैर कांग्रेस ने इसे मुख्य मुद्दा बनाया और सत्ता मे आने पर मंत्रिमंडल की पहली बैठक मे पैंशन बहाल करने का आश्वासन दिया। अभी यह देखना शेष है कि इस मुद्दे का चुनाव के परिणामों पर क्या प्रभाव पड़ा है। अभी केवल आंकलन और अटकलें है और इसका असली पता मतगणना के बाद आठ दिसंबर को ही चलेगा। खैर किसी भी सरकार को पैंशन बहाली के लिए लम्बी कानूनी और तकनीकी प्रक्रिया मे से गुजरना होगा।
पैंशन बहाली की प्रक्रिया और लड़ाई लम्बी भी हो सकती है। इसका कारण है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पैंशन कोष नियामक एव विकास प्राधिकरण ने एन.पी.एस के तहत जमा कर्मचारियों की राशि को ट्रांसफर करने मे असमर्थता जताई है। यह राशि ट्रांसफर करने की मांग राजस्थान,पंजाब और छत्तीसगढ़ की सरकारों की तरफ से की गई थी। एक जानकारी के अनुसार कानूनी पेचीदगियों के चलते कर्मियो के फंड की राशि नियोक्ताओं को ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं देता है। इसका कारण यह है कि एन पी एस मे टैक्स की छूट मिलती है। इसके अलावा जमा राशि मे कर्मचारी और सरकार दोनो का योगदान रहता है। मेरे विचार मे नैशनल पैंशन स्कीम को केन्द्र सरकार ने लोकसभा मे एक्ट बना कर लागू किया था और उसके बाद राज्यों ने इसे अपना लिया था। मेरी समझ मे जिस रूट से इस नई स्कीम को लागू किया गया है उसी रूट से ओ पी एस की बहाली सम्भव है। इसकी बहाली के लिए मामला राज्य सरकारों को केंद्र के समक्ष उठाना होगा और केन्द्र सरकार की सहमती हासिल करनी होगी। केन्द्र यदि नैशनल पैंशन स्कीम एक्ट को रिपील करने को राजी हो जाता है तो सारी तकनीकी और कानूनी अड़चने दूर हो जाएंगी।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।