*सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा)-*MN Sofat ex minister HP*
21 दिसंबर 2022- (#सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा)-
चुनाव के दौरान दो तरह के प्रबंधन की जरूरत होती एक प्रबंधन होता है चुनाव अभियान और चुनाव प्रचार को लेकर और दूसरा प्रबंधन होता है राजनैतिक प्रबंधन, जो आज- कल अति महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान राजनीति मे भाजपा को राजनैतिक प्रबंधन मे अति दक्ष माना जाता है। हर राज्य मे चुनाव से पहले भाजपा सोशल इन्जीनियरिंग करती है। वह राजनीतिक जरूरतों के अनुसार समाज के विभिन्न समुदायों के लोगो को पार्टी मे लेकर आती है या सोशल इन्जीनियरिंग के अनुसार गठबंधन करती है। राजनैतिक विश्लेषक तो यहां तक कहते है कि भाजपा ऐसे उम्मीदवारों या पार्टियों को चुनाव लड़ाने का भी प्रबंध करती है जो भाजपा विरोधी पार्टियों के वोट काट कर उन पार्टियों को नुकसान पहुंचा सके। खैर हिमाचल मे भी भाजपा रणनीतिकारों ने राजनैतिक प्रबंधन किया लेकिन वह लाभ की जगह अधिक नुकसान कर गया। भाजपा ने दो निर्दलीय विधायकों को मुख्यमंत्री जी के प्रयत्नों से पार्टी मे शामिल किया, लेकिन पार्टी ने उनमे से केवल एक जोगिंद्रनगर के विधायक प्रकाश राणा को टिकट दिया और देहरा के भाजपा मे आए निर्दलीय विधायक को टिकट देने से इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप देहरा के विधायक ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और वह चुनाव जीत गया और भाजपा को तीसरे स्थान पर रह कर सन्तोष करना पड़ा।
भाजपा ने कांग्रेस के दो विधायकों को भी कांग्रेस से त्यागपत्र दिला कर भाजपा मे शामिल करवाया, जिसमे से एक कांगडा के विधायक जरूर भाजपा के टिकट पर विधायक बन गए, लेकिन नालागढ़ के भाजपा उम्मीदवार लखविन्द्र राणा को भी तीसरे स्थान पर रह कर ही सन्तोष करना पड़ा, क्योंकि भाजपा नेता और पूर्व विधायक के एल ठाकुर ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। भाजपा के राजनैतिक प्रबंधको ने कांग्रेस के दो कथित दिग्गजों को भाजपा मे शामिल करवा कर खूब अपनी पीठ थपथपाई। एक हर्ष महाजन जो चंबा जिला से आते है, उन्हे चंबा जाने के लिए हेलीकाप्टर की सेवाएं भी उपलब्ध करवाई गई उम्मीद थी कि भाजपा उनके प्रभाव के चलते चंबा की पांचो सीटें जीत लेगी, लेकिन भाजपा चंबा सदर सीट भी हार गई। हालांकि वह हर्ष महाजन की अपनी सीट है और वहां से वह कई बार विधायक रह चुके है। दुसरे दिग्गज भाजपा मे शामिल किए गए थे शाहपुर के पूर्व विधायक मेजर विजय सिंह मनकोटीया। उनका प्रवेश राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की उपस्थिति मे हुआ था और भाजपा के प्रबंधको ने इसे बड़ा कैच माना था। मेजर साहब शाहपुर विधानसभा का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके है। भाजपा के रणनीतिकार उनके भाजपा मे आने के बाद शाहपुर सीट पक्की मान रहे थे, लेकिन राजनैतिक विश्लेषक इसे राजनीतिक बलंडर की संज्ञा दे रहे थे। उनका कहना था कि मेजर विजय सिंह के अधिकांश समर्थक राजपूत है अब वह अपनी परम्परागत विरोधी सरवीण चौधरी को वोट न देकर अपने सजातीय कांग्रेस राजपूत उम्मीदवार केवल सिंह पठानिया को वोट डाल देगें। विश्लेषकों का आंकलन सही निकला और भाजपा ने शाहपुर सीट गवां दी। स्मरण रहे यह सारा प्रबंधन भाजपा के बड़े नेताओं के मार्गदर्शन मे किया गया था।
#आज_इतना_ही कल फिर मिलते है।