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*व्यवस्था परिवर्तन” के विषय पर आयोजित समारोह में आए महत्वपूर्ण सुझाव*

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व्यवस्था परिवर्तन” के विषय पर आयोजित
समारोह में आए महत्वपूर्ण सुझाव

#दिल्ली के सदर बाजार पहाड़ी धीरज स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में “व्यवस्था परिवर्तन” के विषय पर दिनांक 25 दिसंबर 2022 कोदोपहर 2बजे से 5 बजे तक आयोजित समारोह की मुख्य अतिथि नेताजी सुभाष चंद्र बोसजी की प्रपौत्री सुश्री राज्यश्री चौधरीजी थी। इस कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वाभिमान पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी श्री बलदेव राज सूदजी ने किया। संसार चंद (व्यवस्था परिवर्तन चिंतक) इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे।

मुख्य अतिथि नेताजी सुभाष चंद्र बोसजी की प्रपौत्री सुश्री राज्यश्री चौधरीजी ने कहा कि हम आज भी गुलाम हैं। गोरे अंग्रेजों के बजाय आज हम काले अंग्रेजों के गुलाम हैं। हमें आजादी क्यों चाहिए था?हमें किससे आजादी चाहिए? क्या हम आजाद हैं? भारत की शासन व्यवस्था एवं न्याय तंत्र खत्म हो चुका है। देश के विभिन्न अदालतों में इतने मुकदमें लंबित है कि उसके निपटारे में बरसों बीत जाए।धर्म संस्कृति खत्म हो चुका है। कोई भी तंत्र शक्ति और संवर्धन के लिए होता है। क्या हमारे धर्म संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन हुआ?

संसार चंद (व्यवस्था परिवर्तन चिंतक) इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ने कहा कि जब बीजेपी सत्ता में नही थी तो नारा दिया गया था कि बहुत हुई महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार और जनता धोखा खा बैठी।अब महंगाई को सही ठहराने के लिए रोज रोज नए तर्क दिए जा रहे है,मगर जनता को महंगाई से राहत पहुंचाने का कोई भी रोडमैप सरकार के पास नही है, ऐसा मुझे लगता है। व्यवस्था परिवर्तन हेतु दशा और दिशा तय करने के लिए संगठित होने की परम आवश्यकता है। सत्ता, शिक्षा,न्याय, उत्पादन की केंद्रीयकृत व्यवस्था को विकेंद्रित करने की चुनौती हम सबों के समक्ष है। विचार और कर्म की प्रधानता देते हुए सनातन संस्कृति को बचाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।अपने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को ताक पर रखकर जनहित हेतु संघर्ष के लिए हमें आगे आना होगा।सब की बात होगी, तभी सब जुड़ेंगे। कहावत है-” यथा राजा तथा प्रजा”। आज स्थिति ऐसी है कि जनता गूंगी हो चुकी है,समाज पंगु हो गया है, राजनीति सब पर हावी है।इसीलिए राजनीतिक शुद्धिकरण हेतु अपने अपने क्षेत्र में एक सामाजिक व्यवस्था खड़े किए जाने की परम आवश्यकता है। हमारी मांग है कि जनता के प्रतिनिधि को चुनाव लड़ते वक्त चुनावी एफिडेविट/शपथ पत्र देना चाहिए। राजनीतिक व्यवस्था के वर्तमान स्थिति में जनता का सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं है।उदाहरण के तौर पर 15 से 20% वोट पाने वाले सांसद विधायक बन जाते हैं वोटों के बहुमत से जो सरकार बने के निर्णय को हम मानेंगे। वोटों की संख्या से सरकार बनती है तो विधायकों सांसदों के वोट से प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का चुनाव क्यों होता है? 2024 का लोकसभा चुनाव हमारा महत्वपूर्ण आगामी लक्ष्य है।

विद्वान चिंतकों ने कहा नीचे से ऊपर तक आमूलचूल परिवर्तन के बिना व्यवस्था परिवर्तन नहीं हो सकता।इसके लिए जनजागरण एवं व्यवस्था परिवर्तन हेतु रणनीति का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए।हम सभी को संकल्प लेना होगा कि इसके क्रियान्वयन में अपना तन मन धन का योगदान अवश्य देंगे।हमें यह निर्धारित करना होगा कि अपनी ओर से हम क्या कर सकते हैं? आखिर व्यवस्था परिवर्तन होगा कैसे? व्यवस्था परिवर्तन के लिए रोडमैप क्या है ? वास्तव में सत्ता परिवर्तन तो हो गया,पर व्यवस्था परिवर्तन हुआ ही नहीं। महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि लोग हमारे पास क्यों आएंगे? लोगों को आकर्षित करने के लिए हमारे पास क्या है?इस बात पर सामूहिक सहमति बनी कि व्यवस्था परिवर्तन हेतु कॉमन एजेंडा एवं कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया जाए,जिस हेतु आरटीआई सेवक गोपाल प्रसाद को अधिकृत किया गया।

इस बात को सभी ने स्वीकार किया कि व्यवस्था परिवर्तन हेतु जज्बा और जुनून तो है,बस हमें इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु इगो प्रॉब्लम को एक तरफ रख देना होगा।चिंतकों ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए पॉलीटिकल कैंपेन क्यों बनाना चाहिए। मनी पावर, मसल पावर और माइंड पावर के वर्चस्व की स्थिति में सारी क्षमता लगाने के बाद भी क्या एक व्यक्ति व्यवस्था परिवर्तन हेतु सक्षम हो सकता है?अपनी सारी क्षमता लगाने के बाद भी क्या एक व्यक्ति सांसद/ विधायक बन सकता है? विभिन्न क्षेत्र में बिखरे लगभग हजारों साथियों को कैसे ईकठा करेंगेे?जब सत्ता में ही नहीं होंगे तो व्यवस्था में परिवर्तन कैसे करेंगे?विधानसभा या लोकसभा में जीतने के लिए सर्वाधिक वोट पाना अति आवश्यक है। इसके लिए जो साथी विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ने हेतु इच्छुक हैं, उन्हें अपने अपने क्षेत्र का चयन कर तैयार की गई रणनीति को अमलीजामा पहनाने हेतु तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।इसके लिए चुनाव लड़ने हेतु इच्छुक साथियों को कहना होगा कि मेरा यह क्षेत्र है और आप लोग हमें जिताओ।जिस लोकसभा लोकसभा क्षेत्र से आप चुनाव लड़ेंगे,वहां की जनता को अपने विचारों से अवगत कराना होगा
अपने क्षेत्र का कॉमन एजेंडा बनाकर आगे बढ़ो। आपकी लडाई तो उन ताकतवर लोगों से है जो सभी तरह के शक्तियों से संपन्न हैं। अपनी -अपनी डफली, अपना -अपना राग के आधार पर आप अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर सकते। ध्यान रहे हारने के लिए नहीं चुनाव जीतने के लिए इकट्ठा हों। चुनाव में वही खड़ा हो जिसमें क्षमता हो।
सत्ता परिवर्तन के माध्यम से ही व्यवस्था परिवर्तन होगा। नैतिक मूल्यों की स्थापना के पावन उद्देश्य तथा अंग्रेजी व्यवस्था/पश्चिमी व्यवस्था के परिवर्तन हेतु हम सभी को संकल्पित होना होगा। इस हेतु कई मुहिम निर्धारित करने होंगे।खाली दुकान में कोई प्रोडक्ट तो रखना ही होगा तभी तो उसकी दुकानदारी होगी। ठीक उसी तरह हम सभी को भी उदाहरण सेट करना होगा। टूटे-फूटे समुदाय भवन में ग्राम पाठशाला का उदाहरण देते हुए लोकेश कुमार मास्टर जी ने कहा कि इसको देशव्यापी समर्थन मिल रहा है।इस मुहिम के शुरू होने के बाद यह मामला संसद में भी गूंजा।क्या हम सभी लोग एक साथ चलने के लिए तैयार हैं? अलग-अलग राजनीतिक दलों या संगठनों के वजूद को रखते हुए उसके ऊपर फेडरेशन की हाई पावर कमिटी बनाई जा सकती है,जिसके नियम सख्त होने चाहिए। इसका ड्राफ्ट बनाकर सभी सदस्यों को साझा किया जाए।बुनियादी प्रावधानों के मसौदा के साथ आगे बढ़ा जाए।प्रबंधन के विभिन्न माध्यमों और तकनीकी तौर-तरीकों का अवश्य इस्तेमाल करना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उदाहरण देते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह संगठन 0 से शुरुआत करते हुए आज केंद्र एवं विभिन्न राज्य की सत्ता में है। हम सभी के इकट्ठा होने से ही समाधान निकलेगा,तभी हमें न्याय मिलेगा।
भारत में कथित लोकतंत्रके संचालन हेतु चुनाव की व्यवस्था का संचालन भारतीय निर्वाचन आयोग के माध्यम से किया जाता है।भारत का निर्वाचन आयोग पार्टी केंद्रित हो गया है,जबकि उसका ध्यान वोटर केंद्रित होना चाहिए। निर्वाचन आयोग पार्टीवाइज वोट परसेंटेज,पार्टीवाइज नंबर ऑफ़ वोट्स,विनिंग कैंडिडेट और रनर अप कैंडिडेट का आंकड़ा अपने वेबसाइट पर सार्वजनिक करता है। आखिरकार पार्टियों का लोकतंत्र पर कब्जा कैसे हो गया? चोरों और डकैतों के गिरोह की तरह पार्टियों का गठबंधन और गिरोह बनने लगा। राजनीतिक दलों ने पार्टी टिकट बिक्री का व्यापार जोरों शोरों से शुरू कर दिया। राजनीतिक दलों के उम्मीदवार पार्टी फंड खर्च,चुनाव खर्च रिकवरी कैसे हो,इस पर पूरा ध्यान लगाता है।कितने आश्चर्य की बात है कि वर्ष1968 में जब दल था ही नहीं तो दलबदल कानून लाया गया?
इस कार्यक्रम में एडवोकेट राजेश राणाा,एडवोकेट वी.पी.शर्मा, एम.पी.नागर (एंटी करप्शन फ्रंट के अध्यक्ष)फरीदाबाद,ऐडवोकेे मृत्युंजय शर्मा भारतीय लोकतान्त्रिक पार्टी ,मदन मोहन गुप्ता(गांधीवादी चिंतक), मुकेश जैन राष्ट्रीय संयोजक उपनिवेश मुक्त भारत, डॉक्टर के एल शर्मा (हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष स्वाभिमान पार्टी),चंद्रकांत गुप्ता (दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष स्वाभिमान पार्टी), लोकेश कुमार शिक्षक (राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी),डा एल सी शर्मा तथा एस पी शर्मा (राष्ट्रीय लोक नीति पार्टी) एवम सत्य बहुमत पार्टी के प्रतिनिधियों सुरेश कुमार तथा विकास शृबास्तव,हिॅदूमहासभा के अनिल तिरपाठी , गोपाल प्रसाद (दिल्ली के आरटीआई सेवक एवं फौजी जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन),आशीष सिंह(सोशल मीडिया एक्टिविस्ट), रामवीर सिंह मास्टर जी(किसान नेता,होडल हरियाणा) की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

प्रस्तोता : गोपाल प्रसाद आरटीआई सेवक, दिल्ली
Mob: 9910341785,8178949704
Email: gopalrti7@gmail.com

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