*आप सभी के लिये नये वर्ष पर एक रचना।* *विनोद वत्स*
आप सभी के लिये नये वर्ष पर एक रचना।
सुना है दो हज़ार तेईस कल तू आ रहा है
प्लीज इस बार अपने साथ
खुशियां हँसी तरक्की आयोजन मंगल कार्य ये सब लेकर आना
तो तेरा स्वागत होगा
तेरे भाई दो हजार बाईस ने तो सब कुछ ले लिया
तू उसकी तरह आंखे ना दिखाना
बीमारी के बहाने सबको ना रुलाना
तेरे भाई बाईस ने तो इतने बम फोड़े और लाखों हत्याये की और यूक्रेन और रूस को युद्ध का अखाड़ा बना दिया
बेशर्म इतना कि जाते जाते मोदी जी की माँ को भी ले गया
पेले के साथ
पंत को साल भर का दर्द दे गया
और राज करने वाले को फ़क़ीर बनाकर भारत भृमण करने के लिये सड़को पे छोड़ गया
दो हजार तेईस तू तो अच्छा है
तू तो समाज का भला करेगा
विश्व से बीमारी लोभ षडयंत्र घूसखोरी हवस घृणा हत्या इन सब मे तो कमी करेगा
वादा कर जिसने विश्व को दर्द दिया है
तू उसे नेस्तनाबूद करेगा।
तभी सब तेरा दिल से स्वागत करेंगे
क्योंकि गीता में लिखा है
कि अधर्म करने वाले को सजा जरूर मिलती है
फिर चाहे वो चीन हो या कोई और
इसलिये एक दूसरे से गले मिलकर रंजिशें भुला कर तू आ ।
खुशियों से सब एक दूसरे से गले मिले
और खुशियों से एक दूसरे की जेब भरें।
विनोद वत्स की कलम से