*74वें_गणतंत्र_दिवस_पर_विशेष: महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
27 जनवरी 2023- (#74वें_गणतंत्र_दिवस_पर_विशेष)-
पिछले कल 74वां गणतंत्र दिवस सारे देश मे धूमधाम से मनाया गया है। इस दिन देश को संविधान मिला जो हमे लोकतंत्र के अंतर्गत वोट का और अभिव्यक्ति की गारंटी देता है। संविधान निर्माताओं को दूरदर्शी माना गया है, लेकिन यदि आप सुक्ष्मता से परिस्थितियों का अवलोकन करेगें तो आपको अहसास होगा वह आज के भारतीय समाज का आंकलन करने मे सफल नहीं हो सके थे। उन्होने संविधान की रचना करते हुए परिपक्व और लोकलाज से चलने वाले समाज की कल्पना की होगी। उन्होने कभी नहीं सोचा होगा कि इस संविधान के माध्यम से ऐसा चुनावी सिस्टम होगा जिससे ऐसे मंत्री बन जाएगें जो बतौर मंत्री ही भ्रष्टाचार के आरोप मे जेल मे बंद होगें। न जेल मे बंद होने वाले मंत्री को लोकलाज होगी और न ही उसे निलंबित करने की ताकत रखने वाले मुख्यमंत्री को लोकलाज होगी, अन्यथा संविधान के निर्माता संविधान मे प्रावधान करते कि ऐसी परिस्थिति आने पर मंत्री को स्वयं ही अपने पद से हटना होगा। संविधान निर्माताओं ने कल्पना की थी देश के एक वर्ग को दस वर्ष तक आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन उनकी दूरदृष्टि यह आंकलन करने मे चूक कर गई कि एक बार दिया गया आरक्षण वोट की राजनीति के चलते जारी रखना राजनेताओं की मजबूरी हो जाएगा।
इसी प्रकार लोकतंत्र के तीसरे बड़े स्तम्भ न्यायपालिका के उच्चन्यायालय और उच्चतम न्यायालय के जजों की नियुक्ति कैसे हो इसका कोई पारदर्शी प्रावधान संविधान मे नहीं है। आज भी संविधान निर्माण के 73 वर्ष बाद भी सरकार और न्यायपालिका के बीच काॅलेजियम को लेकर टकराव के स्वर सुनाई दे रहे है। यह कुछ बातें यहां दर्ज कर संविधान के निर्माताओं के योगदान को कम कर आंकना मेरा उद्देश्य कतई नहीं है। उन द्वारा निर्मित सविधांन के कारण देश की व्यवस्था सुचारू रूप से चलते हुए हमने विकास के कई मुकाम हासिल किए है, लेकिन परिवर्तन प्रकृति का नियम है। समय के साथ हमने संविधान मे संशोधन किए है और आगे भी हो सकते है। उस समय अपने विवेक के साथ उन्होने एक अच्छा संविधान हमे दिया है, परन्तु मेरे विचार मे अब समय आ गया है कि विशेषज्ञों की एक समिति बना कर सारे संविधान का पुनर्विलोकन कर कुछ ऐसे संशोधन सुझाए जाए जो समाज की आज की सोच और देश की आज की जरूरत के अनुरूप हो।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।