*यादों_के_झरोखे_से: लेखक महेंद्र नाथसोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
*यादों_के_झरोखे_से: लेखक महेंद्र नाथसोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
30 जनवरी 2023- (#यादों_के_झरोखे_से)-
कभी-कभी जीवन के लम्बे सफर के बाद पीछे मुड़कर देखना और पुरानी स्मृतियों को स्मरण करना अच्छा लगता है। मेरी अधिकतर स्मृतियां राजनीति से जुड़ी है। हालांकि मुझे राजनीति मे विशेष सफलता तो नहीं मिली लेकिन संघर्ष की गाथा काफी लम्बी है। उस संघर्ष की यात्रा मे बहुत कुछ ऐसा हो गया जिसको स्मरण कर अच्छा लगता है। 1977 के लोकसभा चुनाव हो चुके थे। लोकतंत्र बचाओ के नाम पर जीत के आई जनता पार्टी ने पहला अलोकतांत्रिक फैसला लेते हुए राज्यों की कांग्रेस सरकारों को यह कहते हुए भंग कर दिया था कि आपने जनता का विश्वास खो दिया है और प्रदेशों मे चुनावों की घोषणा हो गई। जनसंघ के वरिष्ठ नेता रहे किशोरीलाल जी जनता पार्टी के संयोजक नियुक्त हुए। वह अनौपचारिक तौर पर उन दिनो शिमला मे एडवोकेट चिटकारा जी के आफिस मे बैठ कर ही जनता पार्टी की गतिविधियों का संचालन कर रहे थे। मै शिमला मे उनसे मिला और जिला सोलन के लिए जनता पार्टी के उम्मीदवारों को ले कर बातचीत हुई। उसी बातचीत मे यह बात सामने आई कि हालांकि हर जगह से जनता पार्टी के टिकट के लिए आवेदन है, लेकिन जिला सोलन का अर्की एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां से कोई आवेदन नहीं है। खैर वहीं पर शिमला के सेठ पृर्थी चंद भी बैठे थे। वह कांग्रेस से सी एफ डी और फिर जनता पार्टी मे आए थे। उन्होने सुझाव दिया कि वहां पर कांग्रेस के नगीन चन्द्र पाल से बात की जा सकती है। किशोरी लाल जी ने कहा कि फिर उन से तुरंत बात करनी चाहिए। मुझे कहा कि आप और सेठ जी उन से सम्पर्क कर बात करें।
मुझे स्मरण है कि हम चिटकारा जी के आफिस से ही अर्की के लिए निकल गए। हम नगीन जी के घर डूमैहर जाने वाले थे लेकिन जब हमने अर्की बाजार मे पता किया तो पता चला कि वह बाजार मे ही है। वह हमे एक चाय कि दुकान पर मिल गए। आज भी वह दृश्य मुझे याद है बहुत सादे लिबास मे बैग लिए हुए नगीन जी बैठे थे। हमने उन्हे बताया कि हमे किशोरी लाल जी ने भेजा है। हमने सारा प्रस्ताव उनके सामने रखा और विधान सभा मे टिकट की पेशकश भी की। नगीन जी ने बहुत धैर्य से हमारी बात सुनी और कहा कि मै विचार कर बताऊंगा। जब हम बातचीत समाप्त कर उठने लगे तो उन्होने मेरा फोन नंबर जरूर ले लिया। एक दिन बाद उनका फोन आ गया और फिर वह मेरे साथ किशोरी लाल जी से मिले और वह जनता पार्टी के अर्की से पहले गैर कांग्रेसी विधायक बने। फिर वह भाजपा मे भी शामिल हुए। समाजवादी पृष्ठभूमी के नगीन चन्द्र पाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और दो बार मंत्री बने। 30 वर्ष पहले हम अर्की मे उम्मीदवार खोजने के लिए गए थे और मुझे याद है कि 2007 मे वहां भाजपा के टिकट के लिए प्रदेश मे सबसे अधिक टिकट के आवेदन आए थे। खैर नगीन जी को आज भी हिमाचल की राजनीति मे उनकी सादगी और ईमानदारी के लिए याद किया जाता है। मेरा आज का यह ब्लॉग नगीन जी की ईमानदारी और सादगी को समर्पित है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।