*गोलोक एक्सप्रेस में आइए दुख दर्द भूल जाइए, ए बी सी डी की भक्ति में लीन होकर नित्य आनंद पाइए*
गोलोक एक्सप्रेस की महिमा
ओम नमो भगवते वासुदेवाय
🙏🙏🙏
श्रीमद् भगवद् गीता की जय
“एकादशी व्रत के लाभ”
प्रिय पाठको पिछले कुछ लेखों में हमने यह समझने की कोशिश की है कि संपूर्ण खुशी पाने के लिए हमें पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना होगा, जिसके लिए हमने आध्यात्मिक जीवन के चार स्तंभ सत्संग, साधना, सेवा और सदाचार के बारे में जाना। जिसमें हम सत्संग के बारे में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं और अब हम साधना के महत्वपूर्ण अंगों के बारे में चर्चा कर रहे हैं। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज हम एकादशी व्रत और इससे मिलने वाले लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे-
एकादशी महीने में दो बार आती है। एक एकादशी पूर्णिमा के बाद और एक अमावस्या के बाद आती है। पूर्णिमा के बाद की एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद की एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं! इस तरह साल में 24 एकादशी आती हैं। भगवान श्री हरि के भक्तों के लिए एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। नियमित रूप से एकादशी व्रत का पालन करने से हमें अनगिनत लाभ मिलते हैं। एकादशी व्रत से मिलने वाले लाभ को तीन श्रेणियों में बांटा गया है :-
शारीरिक स्वास्थ्य :-
हमारा शरीर एक मशीन की तरह हमेशा काम करता रहता है और आधुनिक जीवन शैली को अपनाकर हमारा शारीरिक श्रम भी बहुत कम हो गया है। हमारे खाने पीने की आदतें भी बहुत अधिक खराब हो चुकी हैं। हम हमेशा कुछ न कुछ खाते ही रहते हैं और जब हम जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं तो हमारे शरीर की सारी ऊर्जा उस खाने को पचाने में लग जाती है, जिससे हमारी पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है, परिणाम स्वरूप हम तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। जब हम एकादशी व्रत का पालन करेंगे तो हमारे खाने में ब्रेक लगेगी यानि कि जब हम कम खाएंगे तो हमारे पाचन तंत्र को भी आराम मिलेगा और हमारे शरीर में जमा जहरीले रसायन भी बाहर निकल जाएंगे। एकादशी व्रत महीने में दो बार आता है तो इस तरह से हर 15 दिन में जब हम व्रत का पालन करते हैं तो कम खाने की वजह से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और साइंस ने भी इस बात को मान्यता दी है कि व्रत करने से हमारा स्वास्थ्य सुधरता है और कैंसर जैसी भयानक बीमारी से भी हम बच सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य:-
एकादशी व्रत का पालन करने से मानसिक स्वास्थ्य में भी बहुत अधिक लाभ होता है। हमारा मन बिगड़ा हुआ बच्चा है जब तक हम अपने मन को नियंत्रण करने की कला नहीं सीख लेते तब तक हम मानसिक तौर पर स्थिर नहीं रह सकते। हमें बहुत सारे विषयों का ज्ञान तो होता है लेकिन हम अपने मन के बहकावे में आकर उन महत्वपूर्ण बातों को अपने जीवन में उतार नहीं पाते। जैसे हम सबको पता है कि हमें संतुलित आहार लेना चाहिए, सुबह उठकर सैर करनी चाहिए, जल्दी सोना चाहिए, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। हमारी बुद्धि तो कहती है कि हमें यह सब करना चाहिए लेकिन हमारा मन हमें यह सब करने से रोक लेता है। इसलिए अपने मन पर काबू करने के लिए अगर हम कुछ समय लगातार व्रत रखने का अभ्यास कर लेते हैं तो उस समय हम अपने मन को साधने का प्रयास करते हैं क्योंकि व्रत वाले दिन हम अपने मन को ऐसा कोई विकल्प देते ही नहीं हैं। हमारा मन हमें भटकाता तो है कि यह खाना है, वह खाना है पर हम अपने मन पर पूरा नियंत्रण रखकर उसे नियम में बांधने का प्रयास करते हैं जिससे कम से कम 1 दिन तो हम संतुलित जीवन को जी पाने में सक्षम हो जाते हैं और ऐसा लगातार करने से हमारी इच्छा शक्ति मजबूत बनती है। जिसके परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे अभ्यास करने से हम अपने मन को काबू करने में सक्षम हो जाते हैं।
आध्यात्मिक स्वास्थ्य : –
हम आत्मा है और आत्मा का वास्तविक लक्ष्य परमात्मा को पाना है। इसके लिए हमें ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे हम परमात्मा को खुश कर सकें। एकादशी व्रत भगवान श्री हरि को बहुत अधिक प्रिय है। एकादशी वाले दिन जब हम कोई भी आध्यात्मिक गतिविधि करते हैं तो उसका फल हमें हजारों गुना बढ़कर मिलता है। एकादशी वाले दिन सत्संग, साधना, सेवा और सदाचार का पालन करने से भगवान के साथ हमारा संबंध बहुत मजबूत बनता है और एकादशी वाले दिन नाम जाप करने का बहुुत अधिक महत्व है। इस दिन किए जाने वाला नाम जाप हमें अनंत गुना फल देता है। इस तरह से एकादशी व्रत का पालन करने से हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है जिसके फलस्वरूप हमें भगवान श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी व्रत रखा कैसे जाता है? इसकी चर्चा हम अगले लेख में विस्तार से करेंगे।
अगर आप भी हमारी तरह घर बैठे बैठे सत्संग श्रवण कर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं तो यूट्यूब पर गोलोक एक्सप्रेस चैनल को सब्सक्राइब कीजिए। आपको सोमवार से शुक्रवार सुबह 5:30 से 6:30 a.m. लाइव सत्संग मिलेगा, जिसमें सोमवार को रामचरितमानस की कथा, मंगलवार को महान कवियों द्वारा रचित दोहों की व्याख्या की जाती है तथा बुधवार, वीरवार और शुक्रवार को श्रीमद् भगवद् गीता का अध्ययन करवाया जाता है तथा शनिवार को श्रीमद् भागवतम की कथा और रविवार को रात 8:00 बजे समग्र शिक्षा के ऊपर सत्संग करवाया जाता है | आप फेसबुक पर भी गोलोक एक्सप्रेस पेज़ पर जाकर सत्संग का लाभ उठा सकते हैं तथा 7018026126 पर भी संपर्क करके अपने वक्त और सुविधा अनुसार घर बैठे बैठे श्रीमद् भगवद् गीता का अध्ययन कर सकते हैं |
न शस्त्र पर न शास्त्र पर न धन पर न ही किसी युक्ति पर, मेरा जीवन तो आश्रित है, हे प्रभु! केवल और केवल आपकी कृपा शक्ति पर।🙏
गोलोक एक्सप्रेस में आइए दुख दर्द भूल जाइए,
ए बी सी डी की भक्ति में लीन होकर नित्य आनंद पाइए।
हरि हरि बोल 🙏🙏🙏🙏